फिर क्या होगा – बालकृष्ण राव

फिर क्या होगा उसके बाद?
उत्सुक हो कर शिशु ने पूछा
माँ, क्या होगा उसके बाद?

‘रवि से उज्ज्वल शशि से सुंदर
नव किसलयदल से कोमलतर
वधू तुम्हारी घर आएगी
उस विवाह उत्सव के बाद’

पल भर मुख पर स्मित की रेखा
खेल गई, फिर माँ ने देखा
कर गंभीर मुखाकृति शिशु ने
फिर पूछा ‘क्या उसके बाद?’

‘फिर नभ के नक्षत्र मनोहर
स्वर्ग लोक से उतर–उतरकर
तेरे शिशु बनने को, मेरे
घर आएँगे उसके बाद।’

‘मेरे नए खिलौने लेकर
चले न जाएँ वे अपने घर।’
चिंतित हो कह उठा किंतु फिर
पूछा शिशु ने, ‘उसके बाद?’

अब माँ का जी ऊब चुका था
हष–श्रंति में डूब चुका था
बोली, ‘फिर में बूढ़ी होकर
मर जाऊंगी उसके बाद’

यह सुन कर भर आए लोचन,
किंतु पोंछ कर उन्हें उसी क्षण,
सहज कुतूहल से फिर शिशु ने
पूछा, ‘माँ क्या उसके बाद?’

× × × × × × × × × × × ×

कवि को बालक ने सिखलाया,
सुख दुख हैं पल भर की माया,
है अनंत का तत्व प्रश्न यह,
‘फिर क्या होगा उसके बाद?’

— बालकृष्ण राव

About Balkrishna Rao

बालकृष्ण राव (जन्म 1913, निधन 1976) हिन्दी के कवि एवं संपादक थें। ये हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद (प्रयाग) की पत्रिका ’माध्यम’ के पहले सम्पादक बने एवं भारत सरकार के आकाशवाणी विभाग में रहकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए। इनकी अनेक आलोचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। 1953 में ’कवि-भारती’ पत्रिका के सह सम्पादक रहे। बाद में अमृतराय के साथ मिलकर ’हंस’ का भी सम्पादन किया। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के अध्यक्ष रहे।

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