फूल और कांटे – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

हैं जनम लेते जगत में एक ही‚
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चांद भी‚
एक ही–सी चांदनी है डालता।

मेह उन पर है बरसता एक–सा‚
एक–सी उन पर हवाएं हैं वहीं।
पर सदा ही यह दिखाता है समय‚
ढंग उनके एक–से होते नहीं।

छेद कर कांटा किसी की उंगलियां‚
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
और प्यारी तितलियों का पर कतर‚
भौंर का है वेध देता श्याम तन।

फूल लेकर तितलियों को गोद में‚
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगंधी औ’ निराले रंग से‚
है सदा देता कली दिल की खिला।

खटकता है एक सबकी आंख में‚
दूसरा है सोहता सुर सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे‚
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।

∼ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

About Ayodhya Singh Upadhyay ‘Hariaudh’

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ (१५ अप्रैल, १८६५ – १६ मार्च, १९४७) हिन्दी के एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार है। यह हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रह चुके हैं और सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये जा चुके हैं। प्रिय प्रवास हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है और इसे मंगलाप्रसाद पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

Check Also

Weekly Numerology Prediction - साप्ताहिक अंक ज्योतिष

साप्ताहिक अंक ज्योतिष दिसंबर 2024: न्यूमरोलॉजिस्ट नंदिता पांडेय

साप्ताहिक अंक ज्योतिष 23 – 29 दिसंबर, 2024: अंकशास्त्र विद्या (Numerology) में अंकों का विशेष स्थान …