किस सुमन की सांस तुमने
आज अनजाने चुरा ली
जब प्रभा की रेख दिनकर ने
गगन के बीच खींची।
तब तुम्हीं ने भर मधुर
मुस्कान कलियां सरस सींची,
किंतु दो दिन के सुमन से,
कौन–सी यह प्रीति पाली
प्रिय तुम्हारे रूप में
सुख के छिपे संकेत क्यों हैं
और चितवन में उलझते
प्रश्न सब समवेत क्यों हैं
मैं करूं स्वागत तुम्हारा
भूलकर जग की प्रणाली
तुम सजीली हो, सजाती हो
सुहासिनि, ये लताएं
क्यों न कोकिल कण्ठ
मधु ऋतु में, तुम्हारे गीत गाएं
जब कि मैंने यह छटा
अपने हृदय के बीच पा ली
फूल सी हो फूलवाली।
~ राम कुमार वर्मा
यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!