“अ” अनार का पाठ: प्रभुदयाल श्रीवास्तव
प्यारी चिड़िया रानी।
कविता लिखने ग़ज़लें कहना,
सीख अरी महारानी।
पढ़ने लिखने से सीखेगी,
तू भी दुनियाँ दारी।
अनपढ़ है री अरी चिरैया,
फिरती मारी- मारी।
बोली चिड़िया अरे अनाड़ी,
मैं बचपन से शायर।
सुना नहीं क्या! चूँ-चूँ चीं-चीं,
चों-चों का मेरा स्वर।
जब हम सब कोरस में गाते।
सुन्दर मीठे गाने।
पेड़ों के पत्ते लग जाते,
ताली मधुर बजाने।
पाठ तुम्हें पुस्तक वाले ही,
बच्चो सदा सुहाते।
अरे! मुझे तो गणित गगन से,
धरती तक के आते।
~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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