प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

हँसी-हँसी बस, मस्ती-मस्ती: प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल-कविता [12]

मुन्ना हँसता मुन्नी हँसती,
रोज लगाते खूब ठहाके।
लगता खुशियों के सरवर में,
अभी आये हैं नहा नहाके।

उनको हंसते देख पिताजी,
माताजी मुस्काने लगते।
हँसी-हँसी बस मस्ती-मस्ती,
गीत, तराने गाने लगते।
सारे घर को चहका देते,
दादाजी कहकहे लगाके।

घर की मस्ती देख देखकर,
सोफे भी इठलाने लगते।
तकिया चादर दरी रजाई,
उठ उठकर सब गाने लगते।
गुंड कंसहड़ी थाल जताते।
खुशियाँ, ढम-ढम – ढोल बजाके।

पीछे रहती क्यों दीवारें,
छप्पर छत कैसे चुप रहते।
होती घर में उछल कूद तो,
मन ही मन में वे भी हँसते।
दरवाजे भी धूम मचाते।

~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Check Also

Five Little Pumpkin Sitting On A Gate

Five Little Pumpkin Sitting On A Gate: Short Poem on Halloween

Five Little Pumpkin Sitting On A Gate: Although Halloween began as a holiday for individuals …