प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

खुशियों के मजे: प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल-कविता [13]

फुलवारी सी दादी मेरी,
बाग बगीचा दादा।

दादीजी ममता की मूरत,
जी भर नेह लुटाती।
लाड प्यार की बूंदें बनकर,
बच्चों पर झर जातीं।
प्यार भरी झिड़की देती हैं,
पर चेहरा मुस्काता।

वाणी, दादाजी की ऐसी,
जैसे झरने गाते।
हँसी फुलझड़ी जैसी होती,
फूलों से मुस्काते।
मस्ती में रहते जैसे हों,
ख़ुशी नगर के राजा।

घर के सभी नन्हियाँ नन्हें,
तितली से मंडराते।
घेर-घेर दादा दादी को,
अल्हड़ गीत सुनाते।
जो भी घर आता खुशियों के,
मजे लूट ले जाता।

~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Check Also

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan is celebrated by burning Holika, an asuri (demoness). For many traditions in Hinduism, …