प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

कंधे पर नदी: प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल-कविता [14]

अगर हमारे बस में होता,
नदी उठाकर घर ले आते।
अपने घर के ठीक सामने,
उसको हम हर रोज बहाते।

कूद-कूद कर, उछल-उछल कर
हम मित्रों के साथ नहाते।
कभी तैरते कभी डूबते,
इतराते गाते मस्ताते।

“नदी आई है आओ नहाने”,
आमंत्रित सबको करवाते।
सभी निमंत्रित भद्र जनों का,
नदिया से परिचय करवाते।

यदि हमारे मन में आता,
झटपट नदी पार कर जाते।
खड़े- खड़े उस पार नदी के,
मम्मी -मम्मी हम चिल्लाते।

शाम ढले फिर नदी उठाकर,
अपने कंधे पर रखवाते।
लाये जँहां से थे हम उसको,
जाकर उसे वहीं रखआते।

~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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