भारत स्वच्छ बनाऊंगी: प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल-कविता [17]
अम्मा के संग मैं भी घर का,
कचरा अभी उठाऊंगी।
गीला कचरा-सूखा कचरा,
अलग-अलग रखवाऊंगी।
डस्टबिन भी अलग-अलग हैं,
सूखे-गीले कचरे की।
नगर पालिका की गाड़ी में,
अलग-अलग डलवाऊंगी।
पुरा पड़ोसी गली-मोहल्ले,
के सारे बच्चों को ले।
भारत स्वच्छ बनाने की मैं,
अलख जगाने जाऊंगी।
भारत स्वच्छ बना देने के,
मैंने भी कुछ गीत लिखे।
बच्चों की टोली को लेकर,
गली-गली मैं गाऊंगी।
भारत स्वच्छ बनेगा तो हर,
घर में खुशहाली होगी।
बीमारी तब दूर रहेगी,
सबको मैं बतलाऊंगी।