फूलों की बातें: प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल-कविता [18]
सुबह-सुबह फूलों को देखा,
आपस में बतियाते।
गले मिल रहे थे खुशियों से,
अपनी कथा सुनाते।
कहा एक ने, आज रात तो,
बहुत मजा था आया।
जब चंदा की एक किरण ने,
उससे हाथ मिलाया।
चंचल हवा पास से गुजरी,
गाना गाते-गाते।
तभी दूसरे ने खुश होकर,
अपनी कही कहानी।
उससे मिलने रात आई थी,
इक पारियों की रानी।
धौल जमाकर पंखुड़ियों पर,
भागी थी इतराते।
बोला फूल तीसरा हंसकर,
मेरी भी तो सुनलो।
पड़े ओस के हीरे मुझ पर,
एकाधा तो चुन लो।
खुलकर हंसे खूब फिर तीनों,
अपने सिर मटकाते।