बाल-कविता [10] – चिंटू मेरा अच्छा दोस्त: पूर्णिमा वर्मन
चिंटू मेरा अच्छा दोस्त,
खाता अंडा मक्खन टोस्ट।
सुबह − सुबह जल्दी उठता है,
शाला में अच्छा पढ़ता है,
रोज इनाम नये पाता है,
झटपट आकर दिखलाता है।
अच्छा है ना मेरा दोस्त ,
खाता अंडा मक्खन टोस्ट।
∼ पूर्णिमा वर्मन
बाल-कविता [11] – एक गीत और कहो ~ पूर्णिमा वर्मन
सरसों के रंग सा‚ महुए की गंध सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।
होठों पर आने दो रूके हुए बोल
रंगों में बसने दो याद के हिंदोल
अलकों में झरने दो गहराती शाम
झील में पिघलने दो प्यार के पैगाम
अपनों के संग सा‚ बहती उमंग सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।
मलयानिल झोंकों में डूबते दलान
केसरिया होने दो बांह के सिवान
अंगों में खिलने दो टेसू के फूल
सांसों तक बहने दो रेशमी दुकूल
तितली के रंग सा‚ उड़ती पतंग सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।