जैसे दिल में छुपी कुछ बात हो।
जैसे फिजाओं में महकी एक आस हो,
जैसे मिलती सांस से सांस हो॥
गगन पर छा रही है बदलियां,
सुर्ख हो रहा है आसमां का रंग नया।
शाम की लाली अब लगी है छाने यहां,
होने वाली है प्यारी रात अब यहां॥
जैसे रात से दिन का साथ हो,
जैसी दिन में हो न सकें, वैसी बात हों।
खुशियां और गम, दोनो को बांट ले,
ऐसी एक प्रिया का हाथ हो॥
आसमां पर चमकने लगे फिर बिजलियां,
तेज वेग से चलने लगे फिर आंधियां।
एक अनजाना सा डर जब उसे सताने लगे,
तेज मूसलाधार पानी फिर बरसने लगे॥
जैसे निशा, उजाले को जुल्फों में संभाल ले,
जैसे देख कर कुदरत भी दिल को थाम ले।
सीने में अपने, उसके चेहरे को मैं छुपा लूं,
ऐसा ही एक प्रिया काश मुझे भी मिले॥