रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताओं का हिंदी अनुवाद

रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताओं का हिंदी अनुवाद

जन्मकथा: रवीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविता – Page 3

“बच्चे ने पूछा माँ से, मैं कहाँ से आया माँ?”
माँ ने कहा, “तुम मेरे जीवन के हर पल के संगी साथी हो!”
जब मैं स्वयं शिशु थी, खेलती थी गुडिया के संग, तब भी,
और जब शिवजी की पूजा किया करती थी तब भी,
आंसू और मुस्कान के बीच बालक को,
कसकर, छाती से लिपटाए हुए, माँ ने कहा,
“जब मैंने देवता पूजे, उस वेदिका पर तुम्ही आसीन थे,
मेरे प्रेम, इच्छा और आशाओं में भी तुम्ही तो थे!

और नानी माँ और अम्मा की भावनाओं में भी, तुम्ही थे!
ना जाने कितने समय से तुम छिपे रहे!
हमारी कुलदेवी की पवित्र मूर्ति में,
हमारे पुरखो की पुरानी हवेली मेँ तुम छिपे रहे!
जब मेरा यौवन पूर्ण पुष्प सा खिल उठा था,
तुम उसकी मदहोश करनेवाली मधु गँध थे!
मेरे हर अंग प्रत्यंग में तुम बसे हुए थे
तुम्ही में हरेक देवता बिराजे हुए थे
तुम, सर्वथा नवीन व प्राचीन हो!

उगते रवि की उम्र है तुम्हारी भी,
आनंद के महासिंधु की लहर पे सवार,
ब्रह्माण्ड के चिरंतन स्वप्न से,
तुम अवतरित होकर आए थे।
अनिमेष द्रष्टि से देखकर भी
एक अद्भुत रहस्य रहे तुम!
जो मेरे होकर भी समस्त के हो,
एक आलिंगन में बध्ध, सम्बन्ध,
मेरे अपने शिशु, आए इस जग में,
इसी कारण मैं, व्यग्र हो, रो पड़ती हूँ,
जब, तुम मुझ से, दूर हो जाते हो…

कि कहीँ, जो समष्टि का है
उसे खो ना दूँ कहीँ!
कैसे सहेज बाँध रखूँ उसे?
किस तिलिस्मी धागे से?

मूल बांगला से अनुवाद: प्रयाग शुक्ल

Check Also

English Poem about Thanksgiving: The Pumpkin

The Pumpkin: English Poem to read on Thanksgiving Day Festival

The Pumpkin: John Greenleaf Whittier uses grandiose language in “The Pumpkin” to describe, in the …