रेलगाड़ी – महजबीं

छुक-छुक, छुक-छुक करती रेल,
धुआं उड़ाती चलती रेल।

देखों बच्चों आई रेल।

रंग होता है लाल इसका,
इंजन लेकिन काला इसका।

पेड़, नदी, खेत, खलियान,
पार कर जाती चाय की दुकान।

जाती जयपुर, मालवा, खांडवा,
रायपुर, बरेली और आगरा।

किसी शहर से किसी नगर से,
नहीं है इसका झगड़ा-वगड़ा।

∼ महजबीं

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