भारत भाग्य विधाता भी तो, इन गलियों में कहीं खो गया।
मेरे भारत के मस्तक पर, है आतंक की काली छाया –
कर्णधार जितने भारत के,
इन सबको है संसद भाता।
मुझसे यदि पूछ कर देखो,
राष्ट्रगान मुझको है आता॥
आग लगी है पंजाब मेरे में, सिंधु और गुजरात जल गया,
मौन मराठा, द्राविड़, उत्कल और बंग को द्वैष छल गया।
विंध्य, हिमाचल को डर लगता, यमुना-गंगा के पानी से –
उच्छल जलधि तरंग कहाँ अब,
केवल लहू बहाया जाता।
मुझसे यदि पूछ कर देखो,
राष्ट्रगान मुझको है आता॥
तव शुभ नामे जागे वाला, महामंत्र फिर से गाना है,
तव शुभ आशिष मागे किससे, उस मूरत को ढुँढवाना है।
गाहे तव जय गाथा जन जन, फिर ऐसा आधार बनालें –
जन गण मंगल दायक जय हे,
अपना भारत भाग्य विधाता।
मुझसे यदि पूछ कर देखो,
राष्ट्रगान मुझको है आता॥
जय हे, जय हे, जय हे, कहना, यह कोई संघर्ष नहीं है,
केवल जय का नाद लगाना, यह कोई उत्कर्ष नहीं है।
जन गण मन गाने से पहले, जन-जन का विश्वास जगा लें –
राष्ट्र बचाएं अपना ‘रत्नम’,
भारत भू से अपना नाता।
मुझसे यदि पूछ कर देखो,
राष्ट्रगान मुझको है आता॥
∼ मनोहर लाल ‘रत्नम’
जन गण मन अधिनायक जय हे
जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (ठाकुर) द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् है।
राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रुप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अब दोनों भाषाओं में (बंगाली और हिन्दी) अधिवेशन में गाया गया था। पूरे गान में 5 पद हैं।
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Good Ratnam ji
ये आज का जन गण मन है
दिल में घर कर गया इसका एक-एक शब्द
बहुत बढ़िया रत्नम जी!!!
जय हे, जय हे, जय हे, कहना, यह कोई संघर्ष नहीं है,
केवल जय का नाद लगाना, यह कोई उत्कर्ष नहीं है।
जन गण मन गाने से पहले, जन-जन का विश्वास जगा लें –