लौट रहीं नौकाएँ तट पर,
पश्चिम कि गोदी में रवी कि, श्रांत किरण ने आश्रय पाया
साथी अंत दिवस का आया
रवि रजनी का आलिंगन है
संध्या स्नेह मिलन का क्षण है
कान्त प्रतीक्षा में गृहणी ने, देखो धर धर दीप जलाया
साथी अंत दिवस का आया
जग के वृस्तित अंधकार में
जीवन के शत शत विचार में
हमें छोड़ कर चली गई लो, दिन कि मौन संगिनी छाया
साथी अंत दिवस का आया