नया दौर का एक यादगार गीत। फिल्म नया दौर आजादी के बाद देश में किस तरह के बदलाव आए और लोग किस तरह आधुनिकता की ओर अपने कदम बढ़ाने लगे थे, इसे भी समझाया गया था। यह फिल्म भारतीयों के संघर्ष की कहानी है, जिसे बखूबी पर्दे पर उतारा निर्देशक बी.आर. चोपड़ा ने. 1957 में आई इस फिल्म से सिनेमा में बदलाव की लहर आई थी। इस फिल्म में वैजयंती माला को एक सशक्त महिला के रूप को दिखाया गया है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह भी थी कि फिल्म में लोगों को यह संदेश भी दिया गया था कि हमें अपनी नैतिकता को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना चाहिए।
एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना …
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा परबत ने शीश झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें
हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें, साथी …
मेहनत अपनी लेख की रखना मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की अब अपनी खातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक, साथी …
एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले किस्मत, साथी …
माटी से हम लाल निकालें मोती लाएं जल से
जो कुछ इस दुनिया में बना है बना हमारे बल से
कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंज़ीरें
हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें, साथी …
∼ साहिर लुधियानवी
चित्रपट: नया दौर (१९५७)
निर्माता, निर्देशक: बी.आर. चोपड़ा
लेखक: अख्तर मिर्ज़ा, कामिल रशीद
गीतकार: साहिर लुधियानवी
संगीतकार: ओ.पी. नय्यर
गायक: मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले
सितारे: दिलीप कुमार, वैजयंती माला, अजीत, चाँद उस्मानी