प्रविष्टि हेतु चयन होने थे
गुप्ता जी दाखिल हुए
सामान्य कद चेहरा भोला
साथ पुस्तकों से भरा
खद्दर का झोला
प्रश्न पूछे जाते
गुप्ता जी उत्सुकता से
उचकते फिर बैठ जाते
गुप्ता जी उत्तर जानते थे
अकुलाते
भाषा की दुरुहता से
बता नहीं पाते थे
अक्स्मात् टूट पड़ा
शब्दों में मुखरित यों
फूट पड़ा
“कछु सवाल हिन्दिउ में
पुछहो के अंग्रेजी ई झाड़त रेहयो!”
विभागाध्यक्ष समझ गए
गुप्ता जी क्यों उलझ गए
तुरंत प्रश्न किया
एक त्रिभुज के तीन शीर्षों के
निर्देशांक हैं
शून्य शून्य एक चार छः चार
क्षेत्रफल बताइये
गुप्ता जी ने क्षणिक किया विचार
दोहराया एक बार
शून्य शून्य एक चार छः चार
बोल पड़े
आधार गुणें लम्ब बटे दो
इतना सा ही प्रश्न बस
क्षेत्रफल हुआ दस
और भी प्रश्न हुए अनेक
कठिन एक से एक
सभी उत्तर ज्ञान से भरे थे
सही सटीक खरे थे
चलते चलते मैं पूछ बैठा
पुस्तकें साथ लाने का
प्रयोजन क्या
उत्तर मिला
“इतना भी नहींं जानते हम क्या
आप सवाल पूछें
हम उत्तर दें
आप न मानें तो
पन्ना खोल कर दिखायदें”
हम सब चकित थे
देखते रहे विस्मय से
समझ गए समय से
गुप्ता जी पूर्ण थे ज्ञान से
आत्म विश्वास से।