सरसों पीली – गोविन्द भारद्वाज

Sarson Pili - Govind Bhardwajपहन कर साड़ी पीली-पीली,
खेतों में इतराई सरसों।

क्यारी-क्यारी खड़ी-खड़ी,
मंद-मंद मुस्कुराई सरसों।

स्वागत में बसंत ऋतु की,
बढ़-चढ़ आगे आयी सरसों।

करके धरती माँ का श्रृंगार,
मन ही मन हर्षाई सरसों।

पुरवा पवन के झोंकों संग,
कोहरे में लहराई सरसों।

∼ गोविन्द भारद्वाज

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