स्कूल मैगज़ीन से ली गयी बाल-कविताएँ

माँ, बस यह वरदान चाहिए: श्रेया राउल

माँ बस यह वरदान चहिए।
जीवनपथ जो कंकड़मय हो,
विपदाओं को घोर वलय हों,
किंतु कामना एक यही बस,
प्रतिपल पग गीमन चाहिए।

हास मिले या तरस मिले,
विश्वास मिले या फँस मिले,
गरजे क्यों न काल ही सम्मुख
जीवन का अभिमान चाहिए।

कंटकपथ पर गिरना, चढना,
स्वाभाविक है हार जितना,
उठ-उठकर हम गिरें, उठें फिर
पर गुरुता का ज्ञान चाहिए।

मेरी हार देश की जय हो,
स्वार्थभाव का क्षण-क्षण हो,
जल-जलकर जीवन दूँ जग को,
बस इतना सम्मान चाहिए।

माँ, बस यह वरदान चाहिए।
माँ, बस यह वरदान चाहिए।

~ श्रेया राउल (नवमीं-सी) St. Gregorios School, Sector 11, Dwarka, New Delhi

Check Also

Baisakhi: The New Season

Baisakhi: The New Season English Poetry

Baisakhi: The New Season English Poetry – Baisakhi (especially in Punjab) is celebrated in much …