शाकाहार: सौरभ जैन सुमन की शाकाहारी जीवन पर कविता

हमारी भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही शाकाहार की ओर जोर दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है। शरीर पर शाकाहार के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से किनारा करना शुरू कर दिया है। आज इसीलिये पूरे विश्वभर में विश्व शाकाहार दिवस मनाया जा रहा है।

शाकाहार: शाकाहारी रहने के लाभ

गर्व था भारत-भूमि को के महावीर की माता हूँ।
राम-कृष्ण और नानक जैसे वीरो की यशगाथा हूँ॥
कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे।
‘पोरस’ जैसे शूर-वीर को नमन ‘सिकंदर’ करते थे॥

चौदह वर्षों तक खूखारी वन में जिसका धाम था।
मन-मन्दिर में बसने वाला शाकाहारी राम था॥
चाहते तो खा सकते थे वो मांस पशु के ढेरो में।
लेकिन उनको प्यार मिला ‘शबरी’ के झूठे बेरो में॥

माखन चोर मुरारी थे।
शत्रु को चिंगारी थे॥
चक्र सुदर्शन धारी थे।
गोवर्धन पर भरी थे॥
मुरली से वश करने वाले ‘गिरधर’ शाकाहारी थे॥
करते हो तुम बातें कैसे ‘मस्जिद-मन्दिर-राम’ की?
खुनी बनकर लाज लूटली ‘पैगम्बर’ पैगाम की॥

पर-सेवा पर-प्रेम का परचम चोटी पर फहराया था।
निर्धन की कुटिया में जाकर जिसने मान बढाया था॥
सपने जिसने देखे थे मानवता के विस्तार के।
नानक जैसे महा-संत थे वाचक शाकाहार के॥

उठो जरा तुम पढ़ कर देखो गौरव-मयी इतिहास को।
आदम से गाँधी तक फैले इस नीले आकाश को॥
प्रेम-त्याग और दया-भाव की फसल जहाँ पर उगती है।
सोने की चिडिया न लहू में सना बाजरा चुगती है॥

दया की आँखे खोल देख लो पशु के करुण क्रंदन को।
इंसानों का जिस्म बना है शाकाहारी भोजन को॥
अंग लाश के खा जाए क्या फ़िर भी वो इंसान है?
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है या कोई कब्रिस्तान है?

आँखे कितना रोती हैं जब उंगली अपनी जलती है।
सोचो उस तड़पन की हद जब जिस्म पे आरी चलती है॥
बेबसता तुम पशु की देखो बचने के आसार नही।
जीते जी तन कटा जाए, उस पीडा का पार नही॥
खाने से पहले बिरयानी चीख जीव की सुन लेते।
करुणा के वश होकर तुम भी गिरि-गिरनार को चुन लेते॥

~’शाकाहार’ poem by सौरभ जैन सुमन

मूलतः क्रन्तिधरा मेरठ से सम्बन्ध रखने वाले देश के प्रसिद्द हास्य कवि सम्मेलन संचालक एवं प्रतिष्ठित वीर रस कवि सौरभ जैन सुमन इन दिनों हिंदी काव्य मंचों की आवश्यक डिमांड हो गए हैं। अपनी त्वरित टिप्पड़ियों के लिए जाने जाने वाले सौरभ जैन सुमन स्वयं में एक पूरा कवि सम्मेलन हैं। अनेकानेक स्थानों पर पूरे कार्यक्रम उनको समर्पित रहे. देश विदेशों के सौरभ सुमन नाईट / कवियुगल नाईट के नाम से उनके निजी कार्यक्रम होते रहे हैं।

सौरभ जैन सुमन की आरंभिक शिक्षा मेरठ (उत्तरप्रदेश) के अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय St. John’s स्कूल से हुई। बाद में हिंदी के प्रति उनकी रूचि के कारण उनको हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल से अपनी आरंभिक शिक्षा पूरी करनी पड़ी. स्नातक की शिक्षा वाणिज्य से की। उसके बाद प्रिंटिंग का निजी काम शुरू किया। उसके साथ ही एक किड्स प्ले स्कूल की शुरुवात की। प्रिंटिंग का काम बंद कर स्कूल और कवि सम्मेलनों को ही अपना समय देने लगे।

सन 2006 में वर्तमान की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री डॉ. अनामिका जैन अम्बर के साथ परिणय सूत्र में बंधे। दो पुत्र क्रमशः काव्य-ग्रन्थ (2009-2011) हुए।

इस समय हिंदी काव्यमंचों पर एक मात्र कवि युगल के रूप में पहचान बनी हुई है। कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों द्वारा सम्मानित कवि सौरभ जैन सुमन अपनी प्रतिभा और हंसमुख व्यव्हार से सभी के प्रिय हैं। मृदुभाषा उनका एक अभिन्न गुण है।

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