सही तरह चलना सिखाए।
मात-पिता से पहले आता,
जीवन में सदा आदर पाता।
सबको मान प्रतिष्ठा जिससे,
सीखी कर्तव्यनिष्ठा।
कभी रहा न दूर मैं जिससे,
वह मेरा पथदर्शक है जो।
मेरे मन को भाता,
वह मेरा शिक्षक कहलाता।
कभी है शांत, कभी है धीर,
स्वभाव में सदा गंभीर,
मन में दबी रहे ये इच्छा,
काश मैं उस जैसा बन पाता,
जो मेरा शिक्षक कहलाता।
∼ विनीता सैमुअल [Hindi Teacher at of St. Gregorios School, Gregorios Nagar, Sector 11, Dwarka, New Delhi]
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