सिरमौर (भारत-भारती से) - मैथिली शरण गुप्त

सिरमौर (भारत-भारती से) – मैथिली शरण गुप्त

हाँ, वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है
ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है
भगवान की भव–भूतियों का यह प्रथम भंडार है
विधि ने किया नर–सृष्टि का पहले यहीं विस्तार है

यह ठीक है पश्चिम बहुत ही कर रहा उत्कर्ष है
पर पूर्व–गुरु उसका यही पुरु वृद्ध भारतवर्ष है
जाकर विवेकानंद–सम कुछ साधु जन इस देश से
करते उसे कृत्कृत्य हैं अब भी अतुल उपदेश से

वे जातियाँ जो आज उन्नति मर्ग में हैं बढ़ रहीं
संसार की स्वाधीनता की सीढ़ियों पर चढ़ रहीं
यह तो कहें यह शक्ति उनको प्राप्त कब कैसे हुई
यह भी कहें वे दार्शनिक चर्चा वहाँ ऐसे हुई

यूनान ही कह दे कि वह ज्ञानी–गुणी कब था हुआ
कहना न होगा हिंदुओं का शिष्य वह जब था हुआ
हमसे अलौकिक ज्ञान का आलोक यदि पाता नहीं
तो वह अरब, यूरोप का शिक्षक कहा जाता नहीं

संसार भर में आज जिसका छा रहा आतंक है
नीचा दिखाकर रूस को भी जो हुआ निःशंक है
जयपाणि जो वद्र्धक हुआ है ऐशिया के हर्ष का
है शिष्य वह जापान भी इस वृद्ध भारतवर्ष का

युरोप भी जो बन रहा है आज कल मार्मिकमना
यह तो कहे उसके खुदा का पुत्र कब धार्मिक बना
था हिंदुओं का शिष्य ईसा यह पता भी है चला
ईसाइयों का धर्म भी है बौद्ध साँचे में ढला

अंतिम प्रभा का है हमरा विक्रमी संवत यहाँ
है किंतु औरों का उदय इतना पुराना भी कहाँ
ईसा मुहम्मद आदि का जग में न था तब भी पता
खब की हमारी सभ्यता है कौन सकता है बता

∼ मैथिली शरण गुप्त (राष्ट्र कवि)

Check Also

World Lupus Day: Date, History, Significance, Facts about autoimmune disease

World Lupus Day: Date, History, Significance, Facts about autoimmune disease

World Lupus Day is dedicated to people worldwide who suffer from this debilitating autoimmune disease …