चिड़ियों ने नभ चहकाया है,
तुम भी अपना बिस्तर छोड़ो
जल्दी से अपना मुंह धो लो।
सूरज को तुम करो प्रणाम
निकलेगा दिन सुख के साथ,
भगवान् को भी कर लो याद
सफल होंगे सारे काज।
पैर बड़ो के तुम छू लो
छोटों को आशीष दो,
दूध गटागट पी जाओ
राजा बेटा तुम बन जाओ।
~ कीर्ति श्रीवास्तव
आपको कीर्ति श्रीवास्तव जी की यह कविता “सूरज” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।
यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!