एक पड़ोस का छोरा
मेरे तैं आके बोल्या
‘चाचा जी अपनी इस्त्री दे द्यो’
मैं चुप्प
वो फेर कहन लागा :
‘चाचा जी अपनी इस्त्री दे द्यो ना?’
जब उसने यह कही दुबारा
मैंने अपनी बीरबानी की तरफ कर्यौ इशारा :
‘ले जा भाई यो बैठ्यी।’
छोरा कुछ शरमाया‚ कुछ मुस्काया
फिर कहण लागा :
‘नहीं चाचा जी‚ वो कपड़ा वाली’
मैं बोल्या‚
‘तैन्नै दिखे कोन्या
या कपड़ा में ही तो बैठी सै।’
वो छोरा फिर कहण लगा
‘चाचा जी‚ तम तो मजाक करो सो
मन्नै तो वो करंट वाली चाहिये’
मैं बोल्या‚
‘अरी बावली औलाद‚
तू हाथ लगा के देख
या करैंट भी मार्यै सै।’
* बीरबानी हरियाणे में बीवी को कहते हैं