सारी कलियाँ खिल जाती हैं,
अंधकार सब खो जाता है,
सब जग सुंदर हो जाता है।
चिड़ियाँ गाती हैं मिलजुल कर,
बहते हैं उनके मीठे स्वर,
ठंडी ढंडी हवा सुहानी,
चलती है जैसे मस्तानी।
ये प्रातः की सुखबेला है,
धरती का सुख अलबेला है,
नई ताज़गी नई कहानी,
नया जोश पाते हैं प्राणी।
खो देते हैं आलस सारा,
और काम लगता है प्यारा,
सुबह भली लगती उनको,
मेहनत प्यारी लगती जिनको।
मेहनता सबसे अच्छा गुण है,
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है,
अगर सुबह भी अलसा जाए,
तो क्या जग सुंदर हो पाए।
Miti miti yade voh bachpan ki… Subaha…