सुभाष चन्द्र बोस - गोपाल प्रसाद व्यास: देश भक्ति कविता

सुभाष चन्द्र बोस: गोपाल प्रसाद व्यास

सुभाष चन्द्र बोस: गोपाल प्रसाद व्यास – 23 जनवरी 1897 का दिन विश्व इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस का जन्म कटक (Cuttack, Odisha) के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावतीदेवी के यहां हुआ।

12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतीन्द्र दास के स्मृति दिवस पर नेताजी ने अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा- ‘अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांगती है। आप मुझे खून दो, मैं आपको आजादी दूंगा।‘ यही देश के नौजवानों में प्राण फूंकने वाला वाक्य था, जो भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

सुभाष चन्द्र बोस पर गोपाल प्रसाद व्यास की हिंदी कविता

है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं,
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं।
अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं,
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं।

यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है,
जो रक्त कणों से लिखी गई, जिसकी जय-हिन्द निशानी है।
प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था,
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था।

यह वीर चक्रवर्ती होगा, या त्यागी होगा सन्यासी,
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी।
सो वही वीर नौकरशाही ने, पकड़ जेल में डाला था,
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था।

बाँधे जाते इंसान, कभी तूफ़ान न बाँधे जाते हैं,
काया ज़रूर बाँधी जाती, बाँधे न इरादे जाते हैं।
वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था, जो मौका पाकर निकल गया,
वह पारा था अँग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया।

जिस तरह धूर्त दुर्योधन से, बचकर यदुनन्दन आए थे,
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के, पहरेदार छकाए थे।
बस उसी तरह यह तोड़ पिंजरा, तोते-सा बेदाग़ गया,
जनवरी माह सन् इकतालिस, मच गया शोर वह भाग गया।

वे कहाँ गए, वे कहाँ रहे, ये धूमिल अभी कहानी है,
हमने तो उसकी नई कथा, आज़ाद फ़ौज से जानी है।

गोपाल प्रसाद व्यास

आपको गोपाल प्रसाद व्यास जी की यह कविता “सुभाष चन्द्र बोस” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

Check Also

Five Little Pumpkin Sitting On A Gate

Five Little Pumpkin Sitting On A Gate: Short Poem on Halloween

Five Little Pumpkin Sitting On A Gate: Although Halloween began as a holiday for individuals …