ठहर जाओ – रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

Thahar Jaoठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें।

अभी कुछ देर मेरे कान में गूंजे तुम्हारा स्वर
बहे प्रतिरोग में मेरे सरस उल्लास का निर्झर,
बुझे दिल का दिया शायद किरण-सा खिल ऊठे जलकर
ठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें।

तुम्हारे रूप का सित आवरण कितना मुझे शीतल
तुम्हारे कंठ की मृदु बंसरी जलधार सी चंचल
तुम्हारे चितवनों की छाँह मेरी कामना उज्जवल
उलझतीं फड़फड़ातीं प्राणपंछी की तरुण पाँखें

लुटाता फूल-सौरभ सा तुम्हें मधुवात ले आया
गगन की दूधिया गंगा लिए ज्यों शशि उतर आया
ढहे मन के महल में भर गयी किस स्वप्न की माया
ठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें।

मुझे लगता तुम्हारे सामने मैं सत्य बन जाता
न मेरी पूर्णता को देवता कोई पहुँच पाता
मुझे चिर प्यास वह अमरत्व जिससे जगमगा जाता
ठहर जाओ, घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें।

∼ रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

About 4to40.com

Check Also

World Thalassemia Day Information For Students

World Thalassemia Day: Date, History, Celebration & Theme

World Thalassemia Day is celebrated every year on 8th of May to increase the awareness …