तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है – आनंद बक्षी

Maaतू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है
प्यारी-प्यारी है ओ माँ ओ माँ
ये जो दुनिया है ये बन है काँटों का
तू फुलवारी है ओ माँ ओ माँ
तू कितनी अच्छी…

दूखन लागीं माँ तेरी अँखियाँ -२
मेरे लिए जागी है तू सारी-सारी रतियाँ
मेरी निंदिया पे अपनी निंदिया भी तूने वारी है
ओ माँ ओ माँ
तू कितनी अच्छी…

अपना नहीं तुझे सुख-दुख कोई -२
मैं मुस्काया तू मुस्काई मैं रोया तू रोई
मेरे हँसने पे मेरे रोने पे तू बलिहारी है
ओ माँ ओ माँ
तू कितनी अच्छी…

माँ बच्चों की जाँ होती है -२
वो होते हैं क़िस्मत वाले जिनकी माँ होती है
कितनी सुन्दर है कितनी सुशील (?) है न्यारी-न्यारी है
ओ माँ ओ माँ
तू कितनी अच्छी…

∼ आनंद बक्षी

चित्रपट : राजा और रंक (१९६८)
निर्माता : एल. वी. प्रसाद
निर्देशक : कोतय्या प्रत्यगात्मा
लेखक : कोतय्या प्रत्यगात्मा, आर.वी. शास्त्री, मुखराम शर्मा
गीतकार : आनंद बक्षी
संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गायक : लता मंगेशकर
सितारे : अजित, संजीव कुमार, कुमकुम, निरूपा रॉय, महेश कोठारे (मास्टर महेश), नज़ीमा

About Anand Bakshi

Anand Bakshi (21 July 1930 – 30 March 2002) was a popular Indian poet and lyricist. आनंद बख़्शी यह वह नाम है जिसके बिना आज तक बनी बहुत बड़ी-बड़ी म्यूज़िकल फ़िल्मों को शायद वह सफलता न मिलती जिनको बनाने वाले आज गर्व करते हैं। आनन्द साहब चंद उन नामी चित्रपट (फ़िल्म) गीतकारों में से एक हैं जिन्होंने एक के बाद एक अनेक और लगातार साल दर साल बहुचर्चित और दिल लुभाने वाले यादगार गीत लिखे, जिनको सुनने वाले आज भी गुनगुनाते हैं, गाते हैं। जो प्रेम गीत उनकी कलम से उतरे उनके बारे में जितना कहा जाये कम है, प्यार ही ऐसा शब्द है जो उनके गीतों को परिभाषित करता है और जब उन्होंने दर्द लिखा तो सुनने वालों की आँखें छलक उठीं दिल भर आया, ऐसे गीतकार थे आनन्द बक्षी। दोस्ती पर शोले फ़िल्म में लिखा वह गीत 'यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेगे' आज तक कौन नहीं गाता-गुनगुनाता। ज़िन्दगी की तल्खियो को जब शब्द में पिरोया तो हर आदमी की ज़िन्दगी किसी न किसी सिरे से उस गीत से जुड़ गयी। गीत जितने सरल हैं उतनी ही सरलता से हर दिल में उतर जाते हैं, जैसे ख़ुशबू हवा में और चंदन पानी में घुल जाता है। मैं तो यह कहूँगा प्रेम शब्द को शहद से भी मीठा अगर महसूस करना हो तो आनन्द बक्षी साहब के गीत सुनिये। मजरूह सुल्तानपुरी के साथ-साथ एक आनन्द बक्षी ही ऐसे गीतकार हैं जिन्होने 43 वर्षों तक लगातार एक के बाद एक सुन्दर और कृतिमता (बनावट) से परे मनमोहक गीत लिखे, जब तक उनके तन में साँस का एक भी टुकड़ा बाक़ी रहा।

Check Also

Shubhchintak: 2025 Gujarati Crime thriller Drama Film, Trailer, Review

Shubhchintak: 2025 Gujarati Crime thriller Drama Film, Trailer, Review

Movie Name: Shubhchintak Directed by: Nisarg Vaidya Starring: Swapnil Joshi, Manasi Parekh, Viraf Patell, Deep …