भोर में आरती सी तुम।
पंछी में पंखों सी तुम,
बंसी में छिद्रों सी तुम।
हकीकत में भ्रान्ति सी तुम,
स्वप्न में जीती जागती सी तुम।
कला में सृजन सी तुम,
प्रेम में समर्पण सी तुम।
धड़कनों के लिए ह्रदय सा केतन हो तुम,
जानते हुआ बनता जो अंजान,
वो अवचेतन हो तुम।