तुम्हारे पत्र – अनिल वर्मा

प्राण जैसे भाव
प्यासे होंठ–से अक्षर
तुम्हारे पत्र

बीतते, बीते पलों की
इन्द्रधनुषी याद का
संगीतमय जादू

या सहज अनुराग के
आनंद की कुछ गुनगुनाती
धूप की खुशबू

रच गये
बेकल हृदय के गाँव में
पायल बंधे कुछ पाँव
किस अधिकार से अक्सर
तुम्हारे पत्र

प्राण जैसे भाव
प्यासे होंठ–से अक्षर
तुम्हारे पत्र

∼ अनिल वर्मा

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