उपवन – गोविन्द भारद्वाज

Upvanफूल खिलें हैं उपवन में,
रंग – बिरंगे मधुबन में।

छवि फूलों की न्यारी है,
महकी क्यारी – क्यारी है।

भँवरे – तितली डोले हैं,
चुपके – चुपके बोले हैं।

मखमल जैसी दूब लगे,
प्यारी लेटी धुप लगे।

महक बसी है धड़कन में,
फूल खिलें हैं उपवन में।

∼ गोविन्द भारद्वाज

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