वादी ए कश्मीर का क्या ये हाल हो गया

वादी ए कश्मीर का क्या ये हाल हो गया

Jammu and Kashmir was a region formerly administered by India as a state from 1954 to 2019, constituting the southern and southeastern portion of the larger Kashmir region, which has been the subject of a dispute between India, Pakistan and China since the mid-20th century. The underlying region of this state were parts of the former princely state of Jammu and Kashmir, whose western districts, now known as Azad Kashmir, and northern territories, now known as Gilgit-Baltistan, are administered by Pakistan. The Aksai Chin region in the east, bordering Tibet, has been under Chinese control since 1962.

After the Government of India repealed the special status accorded to Jammu and Kashmir under Article 370 of the Indian constitution in 2019, the Parliament of India passed the Jammu and Kashmir Reorganisation Act, which contained provisions that dissolved the state and reorganized it into two union territories – Jammu and Kashmir in the west and Ladakh in the east, with effect from 31 October 2019. At the time of its dissolution, Jammu and Kashmir was the only state in India with a Muslim-majority population.

वादि ए कश्मीर का क्या ये हाल हो गया: मनोज कुमार ‘मैथिली’

वादी ए कश्मीर का
क्या ये हाल हो गया
स्वर्ग सा यह जमीं
खूँ से लाल हो गया

ऊचीं-ऊचीं चोटियाँ
जहाँ पे बिखड़ी चाँदनी
स्वयं को है भूल जाता
आ जहाँ पे आदमी
अमन की इस धरा पे
अमन हलाल हो गया
वादी ए कश्मीर का
क्या ये हाल हो गया
स्वर्ग सा यह जमीं
खूँ से लाल हो गया

भोली जहाँ थी जिंदगी
इंसानियत की बंदगी
लुट रही है अस्मिता
आज वहाँ अप्सराओं की
न जाने कितनी माँओं की
आज लाल खो गया

वादी ए कश्मीर का
क्या ये हाल हो गया
स्वर्ग सा यह जमीं
खूँ से लाल हो गया

कश्मीर देख ऐसी हालत
खुद से खुद डर गया
सोचने लगा बहते अपने
खूँन को कितना साल हो गया
वादी ए कश्मीर का
क्या ये हाल हो गया
स्वर्ग सा यह जमीं
खूँ से लाल हो गया

चीर, साल, देवदार
हो रहें हैं तार-तार
डल की सुन करुण पुकार
खुद का खूँन करके तू
किसको खुश कर रहा
अपना सर्वस्व क्यों?
हैवान हवाले कर रहा

जाग-जाग अब तो जाग
मत लगा खुद को आग
छू नही सकेंगे वो
अपनी गलतियों का गर
तुझे मलाल हो गया
स्वर्ग सा यह जमीं
खूँ से लाल हो गया

~ ‘वादी ए कश्मीर का क्या ये हाल हो गया’ poem by मनोज कुमार ‘मैथिली’

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