वतन पे जो फ़िदा होगा: Here is an immortal poem of Anand Bakshi that was written for the 1963 movie “Phool Bane Angaare”. Such powerful and moving words never fail to moisten eyes. It is appropriate to refresh the memory of this song on this 15th of August.
वतन पे जो फ़िदा होगा: आनंद बक्षी
हिमाला की बुलंदी से, सुनो आवाज है आयी
कहो माओं से दे बेटे, कहो बहनों से दे भाई
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा [1]
रहेगी जब तलक दुनियां, यह अफ़साना बयाँ होगा
वतन पे … [1]
हिमाला कह रहा है इस वतन के नौजवानों से
खड़ा हूँ संतरी बनके मै सरहद पे ज़मानों से
भला इस वक्त देखूं कौन मेरा पासबाँ होगा
वतन पे … [1]
चमन वालों की गैरत को है सय्यादों ने ललकारा
उठे हर फूल से कह दो कि बन जाये वो अंगारा
नही तो दोस्तों रुस्वा, हमारा गुलिस्तां होगा
हमारे एक पडोसी ने, हमारे घर को लूटा है
भरम इस दोस्त की बीएस दोस्ती का ऐसा टूटा है
कि अब हर दोस्त पे दुनिया को दुश्मन का गुमाँ होगा
वतन पे … [1]
सिपाही देता है आवाज, माताओं को बहनों को
हमे हथियार ले दो, बेच डालो अपने गहनों को
कि इस कुर्बानी पे कुर्बा वतन का हर जवाँ होगा
वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा
रहेगी जब तलक दुनियाँ, यह अफ़साना बयाँ होगा
~ आनंद बक्षी
Movie / album: Phool Bane Angaare (1963)
Singers: Mohammed Rafi
Song Lyricists: Anand Bakshi
Starring: Raj Kumar, Mala Sinha, Ashish Kumar, Johnny Walker
Usha stays in Santa Cruz, Bombay and decides to look after her family, comprising her widowed mother and younger brother, Ashish. She even decides to not marry her army officer sweetheart, Captain Rajesh, so that she can look after them. Rajesh is called to the front in Korea, her mom passes away, and she brings up Ashish on her own. Years later, Rajesh has still not returned, Ashish gets married to Kamla, much to Usha’s disappointment. Soon, Kamla humiliates Usha and she decides to leave home. Where will a lone woman re-locate, and what prevented Ashish from coming to her assistance? The story follows.