वीर रस की कविता: मुझे दिसंबर भी याद है - मुझे साहिबजादे भी याद हैं

वीर रस की कविता: मुझे दिसंबर भी याद है – मुझे साहिबजादे भी याद हैं

वीर रस की कविता पढ़कर आप हिंदी भाषा के महत्व को आसानी से जान पाएंगे, जिसके बाद आप अपनी मातृभाषा पर गर्व की अनुभूति कर पाएंगे। कविता ही समाज का परिचय साहस से करवाती है, जिन्हें पढ़कर मानव का शौर्य जागृत हो जाता है। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए वीर रस की कविता अवश्य पढ़नी चाहिए।

विकट परिस्थिति में भी आगे बढ़कर अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले व्यक्ति को वीर कहा जाता है और उसकी वीरता की प्रशंसा की जाती है।

वीर रस की कविता: मुझे दिसंबर भी याद है – मुझे साहिबजादे भी याद हैं

मुझे दिसंबर भी याद है
मुझे क्रिसमिस भी याद है
लेकिन मैं भूल नहीं सकती
गुरु गोबिंद सिहं जी की कुरबानी को

शहादत गुरुओं सिखों और साहिबजादों की
जिस से ये भारत देश आबाद है
आज रूप कुछ और ही होता
खुली फिजाओ का ये आलम ना होता

मुझे नानक जी का वो वक्त भी याद है
मुझे बाबर भी याद है
मुझे अब्दाली भी याद है
बहनों माताओं पर जबर जुल्म जब हुआ था

जब मुगलों ने देश की अस्मत को छुआ था
सिखों ने तब भी सुनी दुखियों की फरियाद है
मैं भूल नहीं सकती मुझे सब याद है
शायद भूल चुके हो

वो हिंद की चादर
किसे मान बैठे
देश का फादर
शायद भूल चुके हो वो चौंक चांदनी का

वो आरा वो देग वो रुई में लिपटे
शहीद हुए जब मतीदास सतीदास और भाई दयाला
हुआ बहुत कुछ इसके भी बाद है
मुझे सब याद है

दिसंबर भी याद है क्रिसमिस भी याद है
वो सरसा नदी वो परिवार विछोड़ा
बिखर गया था हंसों का जोड़ा
दादी संग हुए थे साहिबजादे छोटे

लालच में गंगू ने अपने किए करम खोटे
उधर गुरु जी सिख और बड़े साहिबजादे
चमकौर को चले थे
चमकौर की गड़ी का वो मंजर भी याद है

अजीत जुझार की वो शहीदी भी याद है
वो चालीस सिख वो दस लाख फौज भी याद है
देश धरम की खातिर सूबे को ललकारना भी याद है
फतेह सिंह का सूबे को फटकारना भी याद है

जोरावर का जोर झेल ना कोई सका था
इसी लिए साहिबजादों ने लालच को छोड़
दीवार में चिनना चुना था
क्या याद नहीं वो नन्ही सी जाने

वो माता गुजरी क्या नहीं तुम पहचानें
अगर हमें कल नहीं याद तो फिर
आज भी बरबाद है
हमें क्यों अपनी संस्कृति अपने शहीद नहीं याद हैं

खुशी से मनाओ अपने त्योहार तुम
लेकिन भूल ना जाना अपने आधार तुम
मुझे दिसंबर भी याद है मुझे साहिबजादे भी याद है
मैं भूल नहीं सकती

मुझे गुरु गोबिंद सिंह जी याद है

~ Anonymous (Taken from Social Media)

वीर रस की कविता पढ़कर आप अपने अंतर्मन की आवाज को सुन पाएंगे और खुद के साथ-साथ, समाज को भी प्रेरित कर पाएंगे। वीर रस की कविता विद्यार्थियों के सपनों को नई उड़ान देने के लिए मददगार साबित होंगी। वीर रस की कविता पढ़कर युवाओं को हिंदी साहित्य के व्यापक स्वरुप के दर्शन होंगे, ऐसा व्यापक स्वरुप जो मानव में छिपे वीरता भाव को जगाएगा। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को कविताएं पढ़कर एक नया दृष्टिकोण प्राप्त होता है। कविताएं ही समाज की चेतना को जगाने का सफल प्रयास करती हैं। इन्हीं में से कुछ वीर रस की कविता बेहद लोकप्रिय हैं, जिन्हें पढ़कर आपके जीवन में सकारात्मकता परिवर्तन आ सकते हैं। वीर रस की कविता पढ़ने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।

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