Here is another excerpt from “Haldighati” the great Veer-Ras Maha-kavya penned by Shyam Narayan Pandey. Here is a description of a soldier fighting for the Motherland.
वीर सिपाही: वीर रस कविता
बलिवेदी पर बलिदान किया
अपना पूरा अरमान किया,
अपने को भी कुर्बान किया
रक्खी गर्दन तलवारों पर
थे कूद पड़े अंगारों पर,
उर ताने शर-बौछारों पर
धाये बरछी की धारों पर
झनझन करते हथियारों में
अरि-नागों की फुफकारों में
जंगीगंज-प्रबल कतारों में
घुस गये स्वर्ग के द्वारों में
उनमें कुछ ऐसी आन रही,
कुछ पुश्तैनी यह बान रही
मेवाड़-देश के लिए सदा
वीरों की सस्ती जान रही
कहते थे भला आने दो
चिल्ले पर तीर चढाने दो
आग को पैर बढ़ाने दो
रन में घोड़ा दौड़ाने दो
देखो फिर कुंतल बालों की,
कुछ करामात करवालों की
इस वीर-प्रसवनी अवनी के
छोटे से छोटे बालों की
बसने तक को है ग्राम नहीं,
जंगल में रहते धाम नहीं
पर भीषण यही प्रतिज्ञा है,
अरि कर सकते आराम नहीं
हम माता के गन गायेंगे
बलि जन्म-भूमि पर जायेंगे
अपना झंडा फहराएंगे
हम हाहाकार मचायेंगे
∼ श्याम नारायण पाण्डेय
Haldighati is a mountain pass between Khamnore and Bagicha village situated at Aravalli Range of Rajasthan in western India which connects Rajsamand and Pali districts. The pass is located at a distance of 40 kilometres from Udaipur. The name ‘Haldighati’ is believed to have originated from the turmeric-coloured yellow soil of the area.
The mountain pass is a significant historical location. It is the site of the Battle of Haldighati, which took place in 1576 between the Kingdom of Mewar and the Mughal Army led by king Mansingh. Maharana Pratap led the armed forces of Mewar against the Mughals who fought under the command of Mughal emperor Akbar’s general Man Singh I of Amer.