फलन हो या चलनकलन
हरेक ही समीकरण
के हल में तू ही आ मिली।
घुली थी अम्ल क्षार में
विलायकों के जार में
हर इक लवण के सार में
तू ही सदा घुली मिली।
घनत्व के महत्व में
गुरुत्व के प्रभुत्व में
हर एक मूल तत्व में
तू ही सदा बसी मिली।
थी ताप में थी भाप में
थी व्यास में थी चाप में
हो तौल में कि माप मे
सदा तू ही मुझे मिली।
तुझे ही मैनें था पढ़ा
तेरे सहारे ही बढ़ा
हूं आज भी वहीं खड़ा
जहां मुझे थी तू मिली।