कि तुम सब कुछ जानते हो।
फूल, फल, पेड़, अनाज, सब्जियां, रंग,
सब को भली भांति पहचानते हो।
ऐसा सोचने वाला कभी भी,
कुछ नया सीख नहीं पता है।
अपने दर्प में अकड़ा जकड़ा,
जानने का हर अवसर गवाता है।
इतनी बड़ी इस दुनिया में न जाने,
कितना कुछ भरा समाया है।
जीवन भर कोशिश कर के भी,
कोई उसे जान- समझ न पाया हैं।
अपना मन- मस्तिष्क खुला रख कर,
सदा नया सीखने का प्रयत्न करो।
पूछो-जानो-समझो-रूचि लो और,
नई- नई जानकारी लेते बढ़ाते चलो।
~ अोम प्रकाश बजाज
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