वो सुबह कभी तो आएगी – साहिर लुधियानवी

वो सुबह कभी तो आएगी।
इन काली सदियों के सर से जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर छलकेगा
जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।

जिस सुबह की खातिर युग युग से, हम सब मर मर कर जीते हैं
जिस सुबह की अनृत की धुन में, हम जहर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर, इक दिन तो करम फरमाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।

माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं
इन्सानो की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।

∼ साहिर लुधियानवी

चित्रपट : फिर सुबह होगी (1958)
गीतकार : साहिर लुधियानवी
संगीतकार : ख़य्याम
गायक : मुकेश, आशा भोसले
सितारे : राज कपूर, माला सिन्हा

Phir Subah Hogi (Hindi: फिर सुबह होगी, also known as Phir Subha Hogi) is a 1958 Bollywood drama film produced and directed by Ramesh Saigal and starring Raj Kapoor and Mala Sinha in lead roles. The movie was an adaption of Fyodor Dostoevsky’s immortal novel, Crime and Punishment.

It was the fourth highest grossing film in India of 1958 and was declared as “Hit” at the box-office.

Plot Summary

Ram (Raj Kapoor) is a poor law student who supports his education with money orders from his mother and things he pawns. While struggling with his poor finances, he save a boy from accident. Seeing the poor condition of the boy’s family he gives all his savings for the boy’s treatment. Ram keeps visiting the boy and falls in love with the boy’s elder sister Sohni (Mala Sinha). Sohni’s father Gopal is addicted to liquor which Harbanslal keeps providing him with. Harbanslal has a mean motive in doing so as he wants marry Sohni. To prevent Sohni’s arranged marriage with Harbanslal, Ram decides to rob the pawn broker. But he is caught in the act, and he murders the pawn owner.

Ram’s conscience keeps telling him to admit his crime. But he never picks up the courage to do so. The police inspector on the case keeps suspecting Ram for the crime. With no proof he, too, is helpless. Ram learns that police have already arrested another thief and have charged him with this robbery and murder. On the last day when the court is to rule in the case, Raj makes up his mind and admits. He pleads saying how he was acting in self-defense against real villains of the society. The court sentences him for three years of imprisonment. Sohni promises that she will wait for his release and then marry him.

About Sahir Ludhianvi

साहिर लुधियानवी (८ मार्च १९२१ - २५ अक्टूबर १९८०) एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार थे। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था और लाहौर (चार उर्दू पत्रिकाओं का सम्पादन, सन् १९४८ तक) तथा बंबई (१९४९ के बाद) इनकी कर्मभूमि रही। फिल्म आजादी की राह पर (1949) के लिये उन्होंने पहली बार गीत लिखे किन्तु प्रसिद्धि उन्हें फिल्म नौजवान, जिसके संगीतकार सचिनदेव बर्मन थे, के लिये लिखे गीतों से मिली। फिल्म नौजवान का गाना ठंडी हवायें लहरा के आयें ..... बहुत लोकप्रिय हुआ और आज तक है। बाद में साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे। सचिनदेव बर्मन के अलावा एन. दत्ता, शंकर जयकिशन, खय्याम आदि संगीतकारों ने उनके गीतों की धुनें बनाई हैं। 59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया।

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