Yoga Diwas Hindi Poem योग दिवस

Yoga Diwas Hindi Poem योग दिवस

कहाँ खोई प्रतिभा लौट के आई,
भारत को पहचान दिलाई,
विश्व ने माना योग का लोहा,
योग ने दुनिया का मन मोहा,
अफसर हो या चपरासी,
चाहे कितनी आपाधापी,
उठी प्रेम से सबकी नज़र,
योग ने किया बेहतरीन सफर,

आसन हो या प्राणायाम,
कूदते फांदते करते व्यायाम,
सड़क पे उतरी सरकार,
“स्वस्थ विश्व” सपना होता साकार,
योग ने दिया भारत को पहचान,
गौरव बढा मिला सम्मान,
बड़ी उपलब्धि मिली है हमको,
कामना; स्वस्थ शरीर मिले सब को,

अमर रहे ये योग दिवस,
विश्व को उत्तम दे भारत बस,
विरोध, बखेरा छोछि राजनीति,
न बदले इससे देश की नीति,
नियम योग से चला इन्सान,
फ्री में पाई सोने कि खान,
बीमारी गायब तनाव मुक्त,
मुस्काहट से चेहरा रहे युक्त,

सिगरेट सी टागैं सूधरी ठीक,
योग से होते सारे ठीक,
दुनिया का आभार व्यक्त,
सभी बने स्वस्थ सशक्त,
सदियों से भारत की पहचान
विश्व बन्धुत्व हमारी जान,
शांति अहिंसा प्रेम अगली बार,
ये आदर्श जीने का सार,
सरकार धन्यबाद की पात्र,
ये तो केवल अच्छी शुरुआत मात्र

~ अर्चना व राज

21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने विश्व में योग किया जो कि एक रिकॉर्ड था। योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शा‍रीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है।

योग शब्द की उत्पत्त‍ि संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं।

हिन्दू धर्म में साधु, संन्यासियों व योगियों द्वारा योग सभ्यता को शुरू से ही अपनाया गया था, परंतु आम लोगों में इस विधा का विस्तार हुए अभी ज्यादा समय नहीं बीता है। बावजुद इसके, योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।

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