पृथ्वी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पूरी दुनिया में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने, प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और पर्यावरण
के संरक्षण हेतु जागरूक करना है। आज अंधाधुंध विकास के नाम पर पृथ्वी और प्रकृति से छेड्छड़ के कारण भूकम्प और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं को झेलना पड़ रहा है। मौजूदा समय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ प्रदूषण भी खूब बढ़ रहा है। इन सभी से पृथ्वी नष्ट हो रहो है।
पृथ्वी दिवस: 22 अप्रैल
ऐसी स्थिति में पृथ्वी की गुणवत्ता, उर्वरताऔर महत्ता को बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने की जरूरत है।
पृथ्वी को बेहतर बनाने के लिए लोगों में जागरूकता लाने और पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करने के लिए विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
मां हमें जन्म देती है, पर यह धरती भी तो एक मां ही है, जो हमें न केबल रहने के लिए स्थान बल्कि हमें भोजन भी देती है। इसी धरती से हमें जीने के लिए ऑक्सीजन मिलती है, पीने के लिए पानी मिलता। यही हमारे घूमने के लिए अपना आंचल खोल देती है, अपनी गोद में
खिला कर बिल्कुल मां की तरह ही हमारा ध्यान रखती है लेकिन आज विश्व भर में हर जगह प्रकृति का दोहन जारी है। कहीं फैक्टरियों का गंदा जल पीने के पानी में मिलाया जा रहा है तो कहीं गाड़ियों से निकलता धुंआ हमारे जीवन में जहर घोल रहा है।
यह सभी घुमा-फिरा कर हमारी पृथ्वी को दूषित बनाता है। जिस धरती को हम मां का दर्जा देते हैं, उसे हम खुद अपने ही हाथों दूषित करने और उसमें घोलने में लगे हुए हैं।
इतिहास
‘अर्थ डे‘ यानी पृथ्वी दिवस पूरी दुनिया में एक साथ मनाया जाने वाला एक वार्षिक आयोजन है, जिसे सभी 192 देश एक साथ 22 अप्रैल के दिन मनाते हैं। 2024 में इसके 54 साल पूरे होने जा रहे हैं।
इस दिन को सर्वप्रथम 1970 में मनाया गया था और फिर धीरे-धीरे विश्व स्तर पर कई देशों द्वारा स्वीकार कर मनाने का निर्णय लिया गया।
1969 में यूनेस्को द्वारा आयोजित एक प्रैस कॉन्फ्रैंस में 21 मार्च, 1970 को इस दिन को प्रथम बार मनाने का निर्णय लिया गया था, परंतु बाद में इसमें कुछ परिवर्तन किए गए और 22 अप्रैल के दिन इसे मनाने का फैसला किया गया।
विश्व पृथ्वी दिवस की स्थापना अमरीकी सीनेटर जेराल्ड नैल्सन (Gaylord Anton Nelson) के प्रयासों से हुई थी, जिन्होंने पर्यावरण को राष्ट्रीय ‘एजैंडा में जोड़ने के लिए पहले राष्ट्व्यापी पर्यावरण बचाने की प्रस्तावना दी थी।
1970 से 1990 तक यह पूरे विश्व में फैल गया। 1990 से इसे अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने भी 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी। 2000 के दशक में इंटरनैट ने पूरी दुनिया के कार्यकर्त्ताओं को जोड़ने में पृथ्वी दिवस की मदद की। अब हर साल इस दिन दुनिया भर से अस्बों लोग विभिन्न गतिविधियों जैसे कि पेड़ लगाना, सफाई अभियान और अन्य पहल के माध्यम से अपना योगदान देते हैं।
कहा जाता है कि अमरीका में इस दिन को ‘ट्री डे‘ के रूप में भी जाना जाता है। इसे ‘फादर ऑफ अर्थ डे‘ भी कहा जाता है। यह दुनिया में सबसे बड़ा जन जागरूकता आंदोलन है। इसमें एक साथ 192 देशों के अरबों की संख्या में नागरिक हिस्सा लेकर पृथ्वी के संरक्षण का संकल्प लेते हैं।
उद्देश्य
यह दिन मुख्य रूप से पूरे विश्व के पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों और कार्यक्रमों पर निर्भर रहता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य शुद्ध हवा, पानी और पर्यावरण के लिए लोगों को प्रेरित करना और उस पर अमल करवाना है ताकि आने वाली पीढ़ियों को प्रदूषण के बुरे परिणामों का सामना न करना पड़े।
एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन 60 लाख टन कूड़ा समुद्र में डाला जाता है। दिल्ली-मुंबई में सांस लेना प्रदूषण की वजह से 100 सिगरेट पीने के सामान है।
पृथ्वी दिवस पहला पवित्र दिन है जो सभी राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हुए सभी भौगोलिक सीमाओं को अपने आप में समाए हुए है। सभी पहाड़, महासागर और समय को सीमाएं इसमें शामिल हैं और पूरी दुनिया के लोगों को यह दिवस एक गूंज के द्वारा बांध देता है।
22 अप्रैल पृथ्वी दिवस के बहाने खुद के अस्तित्व के लिए जागने का दिन है। आइए, स्वयं तो जगें ही दूसरों को भी जगाएं। हम केवल एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते, इसके लिए हमे बड़े बदलाव की जरूरत है।
हवा में बातें तो सभी करते हैं लेकिन जमीनी हकौकत से जुड़ कर कुछ करना होगा तभी हम धरती मां का कर्ज उतार कर उसके प्रति अपनी सच्ची श्रंद्धाजलि दे पाएंगे।
यदि हर व्यक्ति अपने स्तर पर छोटे-छोटे प्रयास करे तो भी संयुक्त रूप से धरती के संरक्षण में एक बड़ा अंतर लाया जा सकता है।