International Lefthanders Day: “खब्बू दिवस” यानी “लैफ्टहैंडर्स डे” हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। 1976 में इस दिन को पहली बार मनाया गया था। यह दिन बाएं हाथ से काम करने वालों की खासियतों के साथ-साथ उन समस्याओं और कठिनाइयों के बारे में गरूकता बढ़ाता है, जिनका वे सामना करते हैं।
13 अगस्त, 1976 को पहली बार इस दिवस को ‘लेफ्ट हैंडर्स इंटरनेशनल इंक‘ के संस्थापक डीन आर. कैम्पबैल ने मनाया था।
यह दिवस ‘International Lefthanders Day‘ दुनिया की आबादी के सात से दस प्रतिशत लैफ्टहैंडर्स की विशिष्टता तथा भिन्नता का जश्न मनाता है और बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले बच्चों की विशेष आवश्यकताओं पर भी रोशनी डालता है।
International Lefthanders Day: इसलिए खास हैं बाएं हाथ से काम करने वाले
बचपन से ही सिखाया जाता है कि हम सीधे (दाएं) हाथ से ही सभी काम करें। उसी से खाना खाएं, उसी से लिखने की कोशिश करें। अगर कोई बाएं हाथ का इस्तेमाल करता है तो उसे गलत समझा जाता है, टोका जाता है लेकिन फिर भी कुछ लोग बाएं हाथ का ही इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि ‘लैफ्टी’ लोगों की संख्या काफी कम होती है। दुनिया के 90 प्रतिशत लोग दाएं हाथ से ही लिखते हैं, महज 10 प्रतिशत लोग ही ‘ लैफ्टी ‘ हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले किसी भी तरह से कमजोर या साधारण हो ते हैं बल्कि शोध से पता चला है कि बाएं हाथ को काम में लेने वाले बहुत प्रतिभाशाली होते हैं।
खब्बुओं की सूची में कई मशहूर हस्तियां शामिल हैं, जैसे- महात्मा गांधी, बराक ओबामा, अमिताभ बच्चन, बिल गेट्स, रतन यय,- सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, हॉलीवुड एक्ट्रैस निकोल किडमैन वएंजेलीना जोली आदि। हालांकि, इन ‘लैफ्टी’ सैलीब्रिटीज को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वहीं क्रिकेट से लेकर अन्य कई खेलों में ‘लैफ्टी’ होने के अपने ही फायदे हैं। बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोग बॉक्सिग, टैनिस जैसे खेलों में अधिक अच्छे होते हैं।
‘लैफ्टी’ लोगों का आई.क्यू. लैबल भी अधिक होता है। न्यूयॉर्क की सेंट लॉरंस यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के अनुसार दाएं हाथ के लोगों के मुकाबले बाएं हाथ वालों का आई.क्यू. लैबल 140 अंकों तक अधिक होता है।
इतना ही नहीं, बाएं हाथ से काम करने वाले लोग बहुत ही संवेदनशील होते हैं। ‘लैफ्टी’ व्यक्ति ‘राइटी’ की तुलना में आघात जैसी बीमारियों से जल्दी उबर सकते हैं। ‘लैफ्टी’ तेजी से बदलती आवाजों को भी बेहतर सुन सकते हैं।
खब्बुओं की सूची में कई मशहूर हस्तियां शामिल हैं, जैसे – महात्मा गांधी, बराक ओबामा, अमिताभ बच्चन, बिल गेट्स, रतन Tata, सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, ‘हॉलीवुड एक्ट्रैस निकोल किडमैन वएंजेलीना जोली आदि। हालांकि, इन “लैफ्टी’ सैलीब्रिटीज को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वहीं क्रिकेट से लेकर अन्य कई खेलों में ‘लैफ्टी’ होने के अपने ही फायदे हैं। बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोग बॉक्सिग, टैनिस जैसे खेलों में अधिक अच्छे होते हैं।
मुश्किलें
हालांकि, ‘लैफ्टी’ लोगों को कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। स्कूल में बैंच-कुर्सियों पर लिखना मुश्किल होता है क्योंकि कई बार ये ‘राइट हैंडेड’ के हिसाब से बनाई जाती हैं।
आमतौर पर ऑफिस में कम्प्यूटर का माऊस भी राइट साइड पर ही होता है, जिसे चलाने में भी ‘लैफ्टी’ को दिक्कत होती है।
‘लैफ्टी’ लोगों के लिए गिटार बजाना इतना आसान नहीं होता है। ‘लैफ्टी’ किसी इंसान से हाथ मिलाने से पहले सोच में पड़ जाते हैं। इन्हें Touch Screen Mobile पर टाइप करने में भी मुश्किल आती है लेकिन फिर भी अगर आप ‘लैफ्टी’ हैं तो खुश हो जाइए क्योंकि आपमें एक महान व्यक्तित्वकी अनेक खूबियां मौजूद हैं।
कुछ खास बातें:
- अधिकतर खब्बू ड्राइवर पहली ही बार में ड्राइविंग टैस्ट पास कर लेते हैं।
- अक्सर जुड़वां बच्चों में से एक खब्बू होता है।
- गुजरात में सबसे अधिक खब्बू डाक्टर मिलेंगे। बहां कई पति-पत्नी दोनों ही खब्बू मिल जाएंगे।
- दुनिया भर के ‘ लैफ्टहैंडर्स’ को एक मंच पर लाने के लिए एक बेहतरीन वैबसाइट है www.lefthandersday.com जो तरह- तरह की प्रतियोगिताएं, सर्वेक्षण आदि आयोजित करती रहती है।
- कई स्टोर तथा बैबसाइट्स हैं, जहां केबल खब्बुओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजें मिलती हैं जैसे कि कैंची, कटर, रसोई का सामान, कीबोर्ड आदि। इन्हें इस तरह से डिजाइन तथा तैयार किया जाता है कि बाएं,हाथ से काम करने वालों को दिक्कत न हो।