रेडक्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसका प्रमुख उद्देश्य रोगियों, घायलों तथा युद्धकालीन बंदियों की देख-रेख करना है। रेडक्रॉस अभियान को जन्म देने वाले महान मानवता प्रेमी जीन हैनरी डयूनेन्ट (Jean Henri Dunant) का जन्म 08 मई, 1828 को हुआ था। उनके जन्म दिवस को विश्व रेडक्रॉस दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है।
विश्व रेडक्रॉस दिवस को ‘अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस‘ के रूप में भी मनाया जाता है। लगभग 160 वर्षों से पूरे विश्व में रेडक्रॉस के स्वयंसेवक असहाय एवं पीड़ित लोगों की सहायता के लिए काम करते आ रहे हैं। विश्व भर में रेडक्रॉस के लगभग करोड़ों स्वयंसेवक हैं।
भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामैंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ, तब से इसके स्वयंसेवक विभिन्न प्रकार की आपदाओं में निरंतर नि:स्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
जीन हैनरी ड्यूनेन्ट की पहल
पीड़ित लोगों की सेवा बिना भेदभाव के करने का विचार देने वाले तथा रेडक्रॉस अभियान के संस्थापक जीन हैनरी डयूनेन्ट (Jean Henri Dunant) ने समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया और पूरे विश्व के लोगों को मानवता की सेवा के लिए प्रेरित किया।
सेवा कार्य के लिए उनके द्वारा गठित सोसायटी को रेडक्रॉस नाम दिया गया। आज विश्व के लगभग 192 देशों में रेडक्रॉस सोसायटी कार्य कर रही है। वर्ष 1901 में हैनरी को उनके मानव सेवा कार्यों के लिए विश्व का पहला नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।
1859 में काम के सिलसिले में एक यात्रा के दौरान सोलफेरिनो युद्ध के बाद घायल सैनिकों की दर्दनाक स्थिति देख वह बेहद विचलित हुए।
इन्हीं यादों पर उन्होंने एक किताब ‘ए मैमोरी ऑफ सोलफेरिनो’ (A Memory of Solferino) लिखी। इसके बाद 9 फरवरी, 1863 को हैनरी ने स्विट्जरलैंड के शहर जेनेवा में 5 लोगों की एक कमेटी बनाई। हैनरी की इस परिकल्पना का नाम था ‘इंटरनैशनल कमेटी फॉर रिलीफ टू द वूंडेड’।
उसी वर्ष अक्तूबर में जेनेवा में ही एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इसमें 18 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसी में रेडक्रॉस को अमलीजामा पहनाने का मसौदा तैयार किया गया। इस संस्था की पहचान के लिए सफेद पट्टी पर लाल रंग के क्रॉस चिह्न को मान्यता दी गई। आज यह चिह्न पूरे विश्व में पीड़ित लोगों की सेवा का प्रतीक बन गया है।
ब्लड बैंक्स की स्थापना में रेडक्रॉस का अहम योगदान
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि विश्व का पहला ब्लड बैंक Red Cross की पहल पर अमरीका में 1937 में खुला था। आज विश्व के अधिकांश ब्लड बैंकों का संचालन रेडक्रॉस एवं उसकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा ही किया जाता है। रेडक्रॉस द्वारा चलाए गए रक्तदान जागरूकता अभियान के कारण ही आज थैलेसिमिया, कैंसर, एनीमिया जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों से हजारों लोगों की जान बच रही है।
Red Cross का मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में है, जो विभिन्न देशों में स्थापित इसकी शाखाओं के साथ तथा देशों की सरकारों में सामंजस्य बिठाकर चलता है। किसी भी देश में कहीं भी, कभी भी, किसी भी तरह की आपदा हो, संस्था के स्वयंसेवक पीड़ितों को नि:शुल्क सहायता प्रदान करते हैं।
रेडक्रॉस का मूल सिद्धांत किसी से पैसे लिए बिना सहायता करना है, चाहे कैसी भी परिस्थिति हो। जहां सरकारें भी कई बार कुछ नहीं कर सकतीं, वहां रेडक्रॉस मुश्किल से मुश्किल वक्त में भी लोगों की सहायता करती है। रेडक्रॉस के मूल सिद्धांत कुछ इस प्रकार हैं – ‘मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, आजादी, स्वैच्छिक सेवा, सार्वभौमिकता एवं एकता’।
इन आदर्शों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों में संस्था के स्वयंसेवक अपने पथ की ओर अग्रसर हैं।
खास बातें
- Red Cross ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में अहम का निभाते हुए घायल सैनिकों और नागरिकों सहायता की थी।
- रेडक्रॉस के इन्हीं सेवा कार्यों की बदौलत वर्ष 1917 में संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। संस्था को इसके पश्चात 1944 तथा 1963 में भी शांति पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- फिलहाल यह दुनिया के लगभग 192 देशों में कार्य कर रही है।
- भारत में Red Cross सोसायटी का गठन वर्ष 1920 मैं पार्लियामैंट एक्ट के तहत हुआ था।
- शुरूआत में भारत में इसके अध्यक्ष उपराष्ट्रपति होते थे। वर्ष 1994 में रेडक्रॉस एक्ट में संशोधन किया गया जिसमें अध्यक्ष राष्ट्रपति एवं सचिव केद्रीय स्वास्थ मंत्री को बनाया गया।