- अन्य सम्प्रदायों की निंदा करना निषेध है; सच्चा आस्तिक उन सम्प्रदायों में जो कुछ भी सम्मान देने योग्य है उसे सम्मान देता है।
- सभी इन्सान मेरे बच्चे हैं। जो मैं अपने बच्चों के लिए चाहता हूँ, मैं इस दुनिया में और इसके बाद भी उनका भला और ख़ुशी चाहता हूँ, वहीँ मैं हर इंसान के लिए चाहता हूँ। आप नहीं समझते हैं कि किस हद तक मैं ऐसा चाहता हूँ, और अगर कुछ लोग समझते हैं, तो वे ये नहीं समझते कि मेरी इस इच्छा की पूरी हद क्या है।
- मैंने कुछ जानवरों और कई अन्य प्राणियों को मारने के खिलाफ कानून लागू किया है, लेकिन लोगों के बीच धर्म की सबसे बड़ी प्रगति जीवित प्राणियों को चोट न पहुंचाने और उन्हें मारने से बचने का उपदेश देने से आती है।
- हर धर्म में प्रेम, करुणा और भलाई का पोषक कोर है। बाहरी खोल में अंतर है, लेकिन भीतरी सार को महत्त्व दीजिये और कोई विवाद नहीं होगा। किसी चीज को दोष मत दीजिये, हर धर्म के सार को महत्त्व दीजिये और तब वास्तविक शांति और सद्भाव आएगा।
- किसी को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए।
- विभिन्न कारणों से अन्य धर्मों का सम्मान करना चाहिए। ऐसा करने से आप अपने धर्म को विकसित करने में मदद करते हैं और दुसरे धर्मों को भी सेवा प्रदान करते हैं।
- चलिए हम सब सुनते हैं और दूसरों के द्वारा बताये गए सिद्धांतों को सुनने के लिए तैयार रहते हैं।
- सबसे महान जीत प्रेम की होती है, ये हमेशा के लिए दिल जीत लेती है।
- वह जो अपने सम्प्रदाय की महिमा बढाने के इरादे से उसका आदर करता है और दूसरों के संप्रदाय को नीचा दिखाता है, ऐसे कृत्यों से वह अपने ही सम्प्रदाय को गंभीर चोट पहुंचता है।
- माता-पिता का सम्मान किया जाना चाहिए और बड़ों का भी, जीवित प्राणियों के प्रति दयालुता को मजबूत किया जाना चाहिए और सत्य बोला जाना चाहिए।
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