Name | Bellur Krishnamachar Sundararaja Iyengar / बी.के.एस आयंगर |
Born | 14 December, 1918 Bellur, Kolar district, Kingdom of Mysore (now Karnataka, India) |
Died | 20 August, 2014 (aged 95) Pune, Maharashtra, India |
Occupation | योग गुरु, लेखक |
Nationality | Indian |
Achievement | योग के महानतम गुरुओं में से एक, आयंगर योग के संस्थापक, पद्म श्री, पद्मा भूषण, व पद्म विभूषण से सम्मानित 2004 में टाइम मैगज़ीन के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में शामिल |
- योग हमें उन चीजों को ठीक करना सिखाता है जिसे सहा नहीं जा सकता और उन चीजों को सहना सिखाता है जिन्हे ठीक नहीं किया जा सकता।
- जब आप सांस लेते हैं, आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं।
- योग वह प्रकश है जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता। जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे, लौ उतनी ही उज्जवल होगी।
- शरीर धनुष है, आसन तीर और आत्मा लक्ष्य।
- श्वासें मन की शासक हैं।
- अपने चेतना की भावना को भीतर की ओर आकर्षित कर, हम मन के नियंत्रण, स्थिरता और शांति को अनुभव कर पाने में सक्षम हैं।
- बदलाव यदि स्थिर न किया जा सके तो वो निराशा की ओर ले जाता है। परिवर्तन स्थिर किया हुआ बदलाव है, और इसे अभ्यास से प्राप्त किया जाता है।
- आत्मविश्वास, स्पष्टता और करुणा एक शिक्षक के आवश्यक गुण हैं।
- बस इसलिए कोशिश करना मत छोड़िये क्योंकि परफेक्शन आप से बहुत दूर है।
- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने पर ध्यान दीजिये। ये रीढ़ की हड्डी का काम है कि वो मस्तिष्क को सतर्क रखे।
- स्वास्थ्य; शरीर, मन और आत्मा के पूर्ण सद्भाव की स्थिति है।
- यदि आप अपने पाँव के अंगूठे को नहीं जानते तो भगवान को कैसे जान पायेंगे?
- शरीर के ऐलाइन्मेन्ट द्वारा ही मैंने अपने मन, आत्मा और बुद्धि का ऐलाइन्मेन्ट सीखा।
- ये आपके शरीर द्वारा ही है कि आप जान पाते हैं कि आप दिव्यता की चिंगारी हैं।
- जीवन का मतलब जीना है। समस्याएं हेमशा वहां होंगी। जब वे उठें उन्हें योग के द्वारा पार करो – क्रम मत तोड़ो।
- शिक्षण की कला सहिष्णुता है। नम्रता सीखने की कला है।
- हीरे की कठोरता उसकी उपयोगिता का हिस्सा है, लेकिन उसकी असला कीमत उस प्रकाश में है जो उससे हो कर चमकता है।
- शरीर की लय, मन का स्वर और आत्मा का सद्भाव जीवन के संगीत का निर्माण करते हैं।
- जब मैं अभ्यास करता हूं, मैं एक दार्शनिक हूं। जब मैं सिखाता हूं, मैं एक वैज्ञानिक हूं जब मैं कर के दिखाता हूं, मैं एक कलाकार हूं।
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