Chopra has written more than 65 books with 19 New York Times bestsellers. His books have been translated into 35 languages and sold more than 20 million copies worldwide. Chopra has received many awards, including the Oceana Award (2009),the Cinequest Life of a Maverick Award (2010), Humanitarian Starlite Award (2010), and the GOI Peace Award (2010).
- जितना कम आप अपना ह्रदय दूसरों के समक्ष खोलेंगे, उतनी अधिक आपके ह्रदय को पीड़ा होगी।
- आप और मैं अनंत विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं। हमारे अस्तित्व के हर एक क्षण में हम उन सभी संभावनाओं के मध्य में होते हैं जहाँ हमारे पास अनंत विकल्प मौजूद होते हैं।
- उथल -पुथल और अराजकता के बीच अपने भीतर शांति बनाये रखें।
- ब्रह्माण्ड में कोई भी टुकड़ा अतिरिक्त नहीं है। हर कोई यहाँ इसलिए है क्योंकि उसे कोई जगह भरनी है, हर एक टुकड़े को बड़ी पहेली में फिट होना है।
- अपने आनंद से पुनः जुड़ने से महत्त्वपूर्ण और कुछ भी नहीं है। कुछ भी इतना समृद्ध नहीं है। कुछ भी इतना वास्तविक नहीं है।
- हम उम्र बढ़ने, बीमारी और मृत्यु के शिकार नहीं हैं। ये सीनरी का हिस्सा हैं, सिद्ध पुरुष नहीं हैं जिनमे कोई बदलाव नहीं आता। यह सिद्ध पुरुष आत्मा है, सनातन अस्तित्व की अभिव्यक्ति।
- प्रसन्नता ऐसी घटनाओ की निरंतरता है जिनका हम विरोध नहीं करते।
- सोचना ब्रेन केमिस्ट्री का अभ्यास है।
- यदि आप और मैं इस क्षण किसी के भी विरुद्ध हिंसा या नफरत का विचार ला रहे हैं तो हम दुनिया को घायल करने में योगदान दे रेहे हैं।
- आप जिस तरह सोचते हैं, जिस तरह व्यवहार करते हैं, जिस तरह खाते हैं, वो आपके जीवन के 30 से 50 साल तक प्रभावित कर सकता है।
- हमारी सोच और हमारा व्यवहार हमेशा किसी प्रतिक्रिया की आशा में होते हैं। इसलिए ये डर पर आधारित हैं।
- हर व्यक्ति भ्रूण में एक भगवान है। उसकी सिर्फ एक इच्छा है; पैदा होने की।
- अपने शरीर को जानकार कर एवं विश्वास और जीव विज्ञान के बीच कि कड़ी समझ कर आप उम्र बढ़ने से मुक्ति पा सकते हैं।
- यह भौतिक दुनिया, जिसमे हमारा शरीर भी शामिल है, देखने वाले की प्रतिक्रिया है। हम अपना शरीर वैसा ही बनाते हैं जैसा हम अपने जीवन में अनुभव लेते हैं।
- हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब दुनिया ने अचानक भारत को खोज लिया है क्योंकि उसके पास कल्पना करने को कुछ नहीं बचा है। कल्पना के लिए यहाँ अनिर्मित वस्तुओं की कमी नहीं है।
- परम आनंद में होना बच्चों की प्रकृति है।
Pages: 1 2