किसान पर अनमोल विचार, शायरी व नारे [2]
- चीर देता है धरती सूखता नहीं उसका पसीना,
आराम के लिए किसान को मिलता नहीं महीना। - ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक #कृषक को छलता रहेगा। - भोले-भाले किसानों को ईश्वर अपने खुले दीदार का दर्शन देता है।
- जब भोजन की थाली सामने आ जाए,
तो भोजन के समय ईश्वर को नहीं उस महान किसान को धन्यवाद देना। - क्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान को,
खुदा तूने सजा दे दी सीधे-साधे किसान को। - छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की,
फिर भी “बारिश” हो जाये, तमन्ना हैं किसान की। - घटाएँ उठती हैं बरसात होने लगती है,
जब आँख भर के फ़लक को किसान देखता है। - किस लोभ से किसान आज भी, लेते नही विश्राम हैं,
घनघोर वर्षा में भी करते निरंतर काम हैं। - किसानो की मदद करे, देश के विकास में योगदान करे।
- चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ,
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ। - कभी ज़िया करो किसान कि जिंदगी…
लोग महलों में रह कर भी ख़ुद को परेशान कहते है। - आजकल शहर के लोगों को इंसान कम कुत्ते ज्यादा प्यारे लगने लगे है।
- किसान का सम्पूर्ण जीवन प्रकृति से स्थायी सहयोग है।
- बढ़ रही है कीमतें किसान की उगाई हुई सब्ज़ियों की,
पर ना जाने कैसे किसान आज भी गरीब का गरीब ही है। - किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी। - देश की प्रगति है तब तक अधूरी,
किसान के विकास के बिना न होगी पूरी। - तन के कपड़े भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल लहलहाती है,
और लोग कहते है किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है। - बिना गाँव और बिना किसान – किसी भी देश का संपूर्ण होना संभव नहीं है।
- इस धरती पर अगर किसी को सीना तानकर चलने का अधिकार हो,
तो वह धरती से धन-धान्य पैदा करने वाले किसान को ही है। - ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे…
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