गुरु का महत्व:
गुरु पर अनमोल विचार छात्रों के लिए: गुरु का महत्व वर्तमान समय ही नहीं बल्कि पुराने समय से ही सर्वोपरि रहा है। गुरु को हमेशा भगवान का दर्जा दिया जाता है। हमें अपने माता-पिता के बाद जो कुछ भी सिखाया जाता है। वह सब गुरु की ही देन होती है। गुरु ही हमें सच्चाई और अच्छाई के मार्ग को बताते हैं, और सही राह पर लाते हैं। गुरु शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है गू और रू।
गुरु पर अनमोल विचार छात्रों के लिए
यदि इसके शाब्दिक अर्थ को देखें तो गु का अर्थ अंधकार और रु का अर्थ उजाला होता है। अर्थात् गुरु शिष्यों के जीवन में अंधकार को दूर कर देते हैं और उनके जीवन को उजाले से भर देते हैं। गुरु अपने सभी शिष्यों के अंधकार रुपी जीवन को प्रकाश की ओर ले जाते हैं और उन्हें सच का मार्ग दिखाते हैं।
गुरु पर अनमोल विचार विद्यार्थियों के लिए
- गुरु केवल राह दिखाते हैं। चलना खुद को ही पड़ता है।
- गुरु दो तरह के होते हैं- एक वो जो आपको इतना डरा देते हैं कि आप हिल ना सकें, और एक वो जो जिनके आपकी पीठ पर थोडा सा थपथपा देने से आप आसमान छू लेते हैं। ~ रोबर्ट फ्रोस्ट
- रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाना ही गुरु की सर्वोच्च कला है। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
- अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है और खूबसूरत दिलो वाले लोगो का देश बनाना है, तो मुझे दृढ़ता से यकीन है कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य जो एक बड़ा अंतर ला सकते हैं वो हैं- पिता, माता और गुरु। ~ अब्दुल कलाम
- जो गुरु बच्चों को अच्छी तरह से शिक्षित करते हैं, वे जन्म देने वालो से अधिक सम्मान के पात्र हैं। ~ अरस्तु
- किसी विद्यालय की सबसे बड़ी संपत्ति वह के गुरु का व्यक्तित्व है।
- एक गुरु अनंतकाल तक को प्रभावित करता है; वह कभी नहीं बता सकता कि उसका प्रभाव कहा तक जाएगा। ~ हेनरी एडम्स
- चीजों की रोशनी में आगे आओ, प्रकृति को अपना गुरु बनने दो। ~ विलयम वर्ड्सवर्थ
- अगर आप देखे तो हर कोई गुरु हैं। ~ डोरिस रॉबर्ट्स
- मैं जीवन के लिए अपने पिता का ऋणी हूं, लेकिन अच्छा जीवन जीने के लिए अपने गुरु का ऋणी हूँ। ~ सिकन्दर महान
- श्रेष्ठ गुरु किताब से नहीं, दिल से सिखाते हैं।
- यदि आप यह पढ़ सकते हैं, तो अपने गुरु को धन्यवाद दीजिये।
- जो समाज गुरु द्वारा प्रेरित है, वह अधिक वेग से उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है, इसमें कोई संदेह नहीं। किन्तु जो समाज गुरु-विहीन है, उसमें भी समय की गति के साथ गुरु का उदय तथा ज्ञान का विकास होना उतना ही निश्चित है। ~ विवेकानन्द
- ज्ञान की प्रथम गुरु माता है। कर्म का प्रथम गुरु पिता है। प्रेम का प्रथम गुरु स्त्री है और कर्त्तव्य का प्रथम गुरु सन्तान है। ~ आचार्य चतुरसेन शास्त्री
- अनुभव एक कठोर गुरु है क्योंकि वह पहले परीक्षा लेता है, बाद में पाठ पढ़ाता हैं। ~ वेर्नोन लो
- जो शिष्य होकर भी शिष्योचित बर्ताव नहीं करता, अपना हित चाहने वाले गुरु को उसकी धृष्टता क्षमा नहीं करनी चाहिए। ~ वेदव्यास
- यदि गुरु अयोग्य शिष्य चुन तो उससे गुरु की बुद्धिहीनता ही प्रकट होती है। ~ कालिदास
- गुरु की कृपा से, शिष्य बिना ग्रंथ पढ़े ही पंडित हो जाता है। ~ विवेकानंद
- तुमको अन्दर से बाहर विकसित होना है। कोई तुमको न सिखा सकता है न आध्यात्मिक बना सकता है। तुम्हारी आत्मा के सिवा और कोई गुरु नहीं है। ~ विवेकानन्द
- गुरु की भूमिका निभाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि किसी व्यक्ति के भविष्य का भार उसी के कंधो पर होता है।
- गुरु के पास ही वो जादुई कला हैं, जिससे मिट्टी भी सोने में बदल सकती हैं।
- वैसे कहने को तो किताबे मात्र ज्ञान लेने का एक साधन है लेकिन जो इन्हे अपना गुरु बना लेता है वो अपना एक उज्जवल भविष्य बनाना तय कर लेता हैं।
- अगर किसी व्यक्ति का कोई गुरु नहीं होगा, तो उसको सही-गलत की सीख मिल पाना बहुत मुश्किल होगा।
- शांति का पढ़ाया पाठ, अज्ञानता का मिटाया अंधकार गुरु ने सिखाया हमें, नफरत पर विजय हैं प्यार।
- माता-पिता भी हमारे सबसे बड़े गुरु हैं क्योंकि अच्छे संस्कार का ज्ञान हमें इन्ही से मिलता है।
- एक अच्छा गुरु मिल पाना किसी के लिए उतना ही कठिन हैं जितना की गेहू में से घुन चुनना।