खलील जिब्रान (6 जनवरी, 1883 – 10 जनवरी, 1931) एक लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। आधुनिक अरबी साहित्य में जिब्रान खलील ‘जिब्रान’ के नाम से प्रसिद्ध हैं, किंतु अंग्रेजी में वह अपना नाम खलील ज्व्रान लिखते थे और इसी नाम से वे अधिक प्रसिद्ध भी हुए।
- मित्रता हमेशा एक मधुर ज़िम्मेदारी है, अवसर कभी नहीं।
- ज्ञान ज्ञान नहीं रह जाता जब वह इतना अभिमानी हो जाए कि रो भी ना सके, इतना गंभीर हो जाए कि हंस भी ना सके और इतना स्वार्थी हो जाये कि अपने सिवा किसी और का अनुसरण ना कर सके।
- एक दोस्त जो बहुत दूर है वो कभी कभी करीब रहने वालों से अधिक नज़दीक होता है। क्या पहाड़ , वहां रहने वालों की अपेक्षा घाटी से गुजरने वालों को कहीं अधिक प्रेरणादायी और स्पष्ठ नहीं दिखता?
- जो शिक्षक वास्तव में बुद्धिमान है वो आपको अपने ज्ञान प्रकोष्ठ में प्रवेश करने का आदेश नहीं देता बल्कि वो आपको आपके बुद्धि की पराकाष्ठा तक ले जाता है।
- मैं तुमसे प्रेम करता हूँ जब तुम अपने मस्जिद में झुकते हो, अपने मंदिर में घुटने टेकते हो, अपने गिरजाघर में प्रार्थना करते हो। क्योंकि तुम और मैं एक ही धर्म की संतान हैं और यही भावना है।
- और क्या कभी यह जाना गया है कि प्रेम स्वयं अपनी गहराई जानता है जब तक कि बिछड़ने का वक़्त ना आये ?
- मैंने बातूनियों से शांत रहना सीखा है, असहिष्णु व्यक्तियों से सहनशीलता सीखी है, निर्दयी व्यक्तियों से दयालुता सीखी है; पर फिर भी कितना अजीब है कि मैं उन शिक्षकों का आभारी नहीं हूँ।
- दोस्ती की मिठास में हास्य और खुशियों का बांटना होना चाहिए। क्योंकि छोटी -छोटी चीजों की ओस में दिल अपनी सुबह खोज लेता है और तरोताज़ा हो जाता है।
- जाहिर वो है जो तब तक नहीं पता चलता जब तक कि कोई उसे सरलता से व्यक्त नहीं कर देता।
- अगर मेरा अस्तित्व किसी के नष्ट होने का कारण बनता है तो मौत मुझे अधिक आकर्षक और प्रिय होगी।
- आप कैसे जीते हैं ये ज़िन्दगी आपको क्या देती है इससे अधिक आप अपनी ज़िन्दगी को क्या नजरिया देते हैं इसपर निर्भर करता है; जितना आपकी ज़िन्दगी में क्या हुआ इससे अधिक जो हुआ उसे आप कैसे देखते हैं इसपर निर्भर करता है।
- आस्था एक अन्तरंग ज्ञान है, प्रमाण से परे।
- आपके बच्चे आपके बच्चे नहीं हैं। वे जीवन की खुद के प्रति लालसा के पुत्र-पुत्रियाँ हैं। वे आपके द्वारा आये पर आपसे नहीं आये और हालांकि वो आपके साथ हैं पर फिर भी आपके नहीं हैं।
- काम प्रेम की अभिव्यक्ति है। और यदि आप प्रेम से नहीं सिर्फ बेमन से काम कर सकते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपना काम छोड़ दें और मंदिर के गेट पर बैठ कर उनसे भीख लें जो ख़ुशी से काम करते हैं।
- थोडा ज्ञान जो प्रयोग में लाया जाए वो बहुत सारा ज्ञान जो बेकार पड़ा है उससे कहीं अधिक मूल्यवान है।