सत्य, सच, सत्यार्थ से मिलते जुलते शब्दों से बने कुछ प्रसिद्ध विचार
आपके विचार आपके जीवन का निर्माण करते हैं. यहाँ संग्रह किये गए महान विचारकों के हज़ारों कथन आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.
- सत्य के सामान कोई धर्म नहीं है.
- समाज का मार्गदर्शन करना एक गुरुतर दायित्व है, जिसका निर्वाह कोई नहीं कर सकता.
- सामाजिक और धार्मिक शिक्षा व्यक्तियों को नैतिकता एवं अनैतिकता का पाठ पढ़ाती है.
- सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय क्षेत्रों में जो विकृतियां, विपन्नताएं दृष्टिगोचर हो रही हैं, वे कहीं आकाश से नहीं टपकी हैं, वरन हमारे अग्रणी, बुद्धिजीवी एवं प्रतिभा संपन्न लोगों की भावनात्मक विकृतियों ने उन्हें उत्पन्न किया है.
- सैंकड़ों गुण रहित और मुर्ख पुत्रों की बजाय एक गुणवान और विद्वान पुत्र होना अच्छा है क्योंकि रात्रि के समय हज़ारों तारों की उपेक्षा एक चन्द्रमा से ही प्रकाश फैलता है.
- सत्य भावना का सबसे बड़ा धर्म है.
- सत्य, प्रेम और न्याय को आचरण में प्रमुख स्थान देने वाला नर ही नारायण को अति प्रिय है.
- सत्य बोलने तक सिमित नहीं, वह चिंतन और कर्म का प्रकार है, जिसके साथ ऊँचा उद्देश्य अनिवार्य जुड़ा होता है.
- सत्य का पालन ही राजाओं का दया प्रधान सनातन आचार था. राज्य सत्य स्वरुप थे और सत्य में लोक प्रतिष्ठित था.
- सत्य के सामान कोई धर्म नहीं है. सत्य से उत्तम कुछ भी नहीं है और झूठ से बढ़कर तीव्रतर पाप इस जगत में दूसरा नहीं है.
- सत्य बोलते समय हमारे शरीर पर कोई दवाब नहीं पड़ता है लेकिन झूठ बोलने पर हमारे शरीर पर अनेक प्रकार का दवाब पड़ता है, इसलिए कहा जाता है कि सत्य के लिए एक हाँ और झूठ के लिए हज़ारों बहाने ढूंढने पड़ते हैं.