आदि विनायक मंदिर, मानवमुखी गणेश, तिलतर्पणपुरी, तिरुवरुर, तमिलनाडु

आदि विनायक मंदिर, मानवमुखी गणेश, तिलतर्पणपुरी, तिरुवरुर, तमिलनाडु

आदि विनायक मंदिर: भारत के मंदिर ही यहां की पहचान हैं। देश के कोने-कोने में स्थित कई ऐसे मंदिर हैं जो चमत्कारिक हैं, अद्भुत हैं और अपनी अद्वितीय पहचान के लिए जाने जाते हैं।

भगवान राम के बनाए चावल के पिंड कीड़ों में बदल जा रहे थे। शिवजी के कहने पर जब भगवान राम आदि विनायक मंदिर (मानवमुख स्वरूप वाले गणेशजी) आए, तब जाकर महाराजा दशरथ के लिए पिंडदान कर पाए। – यही है इस मंदिर की महिमा।

Name: आदि विनायक मंदिर (Sri Muktheeswarar & Adhi Vinayagar Temple)
Location: WJVP+H83, Thilatharpanapuri, Ayyampettai, Thiruvarur District, Tamil Nadu 609503 India
Deity: Lord Ganesha, Lord Shiva
Affiliation: Hinduism
Architecture:
Creator:
Festivals: Ganesh Chaturthi
Timing: 06:00 AM – 12:00 PM, 16:00 PM – 21:00 PM

दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां होती है ‘मानवमुखी गणेश जी’ की पूजा

तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले (Thiruvarur District) में कुटनूर से लगभग 3 किलोमीटर दूर तिलतर्पणपुरी है। यहीं स्थित है भगवान गणेश का आदि विनायक मंदिर, जो भारत ही नहीं अपितु संभवत: पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान गणेश के मानव मुख स्वरूप की उपासना की जाती है अर्थात मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा का सिर हाथी का नहीं अपितु मनुष्य का है।

माना जाता है कि एक बार भगवान शिव जी ने गुस्से में आकर श्री गणेश की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था, जिसके बाद गणेश जी को गज यानी हाथी का मुख लगाया गया था। तब से उनकी प्रतिमा इसी रूप में हर मंदिर में स्थापित होती है लेकिन आदि विनायक मंदिर में गणपति का इंसान का चेहरा होने का कारण यही है कि भगवान का गज मुख लगने से पहले उनका मुख इंसान का था, जिस वजह से उनकी पूजा इस रूप में यहां की जाती है।

आदि विनायक मंदिर का इतिहास

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम जब अपने पिता की मृत्यु के बाद पिंडदान कर रहे थे, तब उनके द्वारा बनाए गए चावल के पिंड कीड़ों में बदलते जा रहे थे। श्री राम ने जितनी बार चावल के पिंड बनाए, उतनी बार ऐसा ही होता कि बे कीड़ों में बदल जाते। अंततः: उन्होंने भगवान शिव जी से प्रार्थना की, तब महादेव ने उन्हें आदि विनायक मंदिर जाकर विधि-विधान से पूजा करने के लिए कहा।

इसके बाद भगवान श्री राम आदिविनायक मंदिर आए और महाराजा दशरथ के लिए पूजा की। उनके द्वारा बनाए गए चावल के चार पिंड बाद में शिवलिंग के रूप में बदल गए, जो आदि विनायक मंदिर के पास स्थित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित हैं। आज यहां देश के कोने-कोने से लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए आते हैं।

‘तिलतर्पणपुरी’ का अर्थ

तिलतर्पणपुरी (Tiltarpanpuri) दो शब्दों से मिलकर बना है, तिलतर्पण अर्थात पूर्वजों के तर्पण से सम्बंधित और पुरी का अर्थ है नगर। इस प्रकार इस स्थान को पूर्वजों के मोक्ष और मुक्ति का नगर कहा जाता है।

पितरों की शांति के लिए पिंडदान नदी के किनारे किया जाता है लेकिन धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर ही होते हैं।

भगवान शिव तथा माता सरस्वती की भी होती है पूजा

यहां गणेश जी के साथ शिव जी तथा माता सरस्वती का भी मंदिर स्थापित है। प्राचीन कवि ओट्डकुठार ने देवी के इस मंदिर की स्थापना की थी। भगवान गणेश जी के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु माता सरस्वती केसाथ ही साथ ही मुक्ते श्वर महादेव मंदिर में स्थित चार शिवलिंगों का भी दर्शन अवश्य करते हैं।

कैसे पहुंचें आदि विनायक मंदिर?

तिरुवरुर शहर मुख्यालय से आदि विनायक मंदिर लगभग 22 किलोमीटर दूर है। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा तिरुचिरापल्ली में है, जो लगभग 110 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा चेन्नई हवाई अड्डे से इस स्थान की दूरी लगभग 318 किलोमीटर है।

तिरुवरुर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर दूर है। तंजाबुर के माध्यम से यहां से तमिलनाडु के लगभग सभी शहरों के लिए रेल सुविधा उपलब्ध है। सड़क मार्ग से भी यहां पहुंचना आसान है।

Adhi Vinayagar Temple is in Muktheeswarar temple at Thilatharpanapuri, Tamil Nadu which is near by Koothanur in the Mayavaram Thiruvarur road.

This is the unique temple with the God Ganesh without elephant head. This is the ancient form of Vinayagar. In this temple devotees are doing Thila Tharpana ritual which is the Hindu ritual of Pithur Karmas.

Swarnavalli sametha Mukthiswarar temple is located at Thilatharpanapuri 2.6kms from Koothanur. Koothanur is near Poonthottam which is on Mayavaram — Thiruvarur Road. Here you can see a Vinayakar with a Human face.

The name Thilatharpanapuri comes from two words thil meaning Gingely and tharpana is the Hindu ritual of performing pithru karmas (ritual of paying tribute to ancestors) to ones ancestors. It is also known as Sethalapathy. There are 7 sthalams for performing these rituals viz. Kasi, Rameswaram, Srivanchiyam, Thiruvenkadu, Gaya, Thiriveni Sangamam and Thilatharpanapuri. It is said that Sri Rama performed tharpanam for Dasaratha at this place. This place is considered equivalent to Kasi or Rameswaram. Performing tharpanam here on Amavasya day is considered special. This is a Mukthikshetram.

The shrine for Aadhi Vinayakar (also known as Nara mukha vinayakar) is just outside the main temple. Here you can see Ganesha with a human head and hence the name Naramukha vinayakar.

The story of Shiva beheading Naramukha Vinayaka who was created by Parvati and then replacing the head with an elephant head is well known. What is less known is, Shiva had instructed his troops to fetch the head of anyone found sleeping with his head placed towards North. They found this elephant sleeping with its head towards North. Shiva named the boy Ganapati – meaning commander of his troops and granted a boon that Ganapati shall be worshipped by everybody before starting anything new.

This is the only type of Vinayagar where He has a human face. This is supposed to be the First Vinayagar that Goddess Parvati created.

Temple address: Sethalapathy, Poonthottam P.O., Nannilam Taluk, Thiruvarur District, Tamil Nadu 609503 India

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